यूपी में नीतीश : रुपम बलात्कार, फ़ारबिसगंज गोली कांड, बियाडा घोटाला, पंचम एनकाउंटर


यूपी में नीतीश : रुपम बलात्कार, फ़ारबिसगंज गोली कांड, बियाडा घोटाला, पंचम एनकाउंटर

का देना होगा जवाब

यूपी के चुनाव में नीतीश कुमार  का दल जदयू भी अपनी औकात नापने की तैयारी कर चुका है । मामला कुछ और है , सामने २०१४ का लोकसभा चुनाव है। नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री पद से उपर का पद पाने की चाह के लिये यह चुनाव एक पैमाना है। प्रधानमंत्री का सपना अखबार वाले नीतीश कुमार को दिखा रहे हैं। पीएम का पद आठ दस एमपी की बदौलत तो मिलने से रहा । रवीश कुमार, आशुतोष, राजदीप सरदेसाई और हरवंश ने इतना चढाया कि नीतीश को भी गलत फ़हमी हो गई है कि वे वाकई पीएम के योग्य हैं। खैर यूपी चुनाव औकात बता देगा।

यूपी में कोई लालू नही है। और न हीं सवर्णों के नेता का अभाव है । अल्पसंख्यक के लिये ढेर सारे विकल्प हैं। दलित तो सता में ही है । यूपी में बिहार की तरह विकल्पहीनता की स्थिति नही है । बिहार में नीतीश विकल्पहीनता के विकल्प थें। वहां हालात उल्टे हैं , जैसे बिहार की जनता लालू से उनके काल में हुई गुंडागर्दी का जवाब मांगती थी , उसी तरह यूपी की जनता सवाल करेगी रुपम पाठक के बलात्कारियों के खिलाफ़ कार्रवाई न करके उल्टा बलात्कारी की पत्नी को टिकट दिया, क्यों ? फ़ारबिसगंज में रास्ता बंद करने का विरोध कर रही जनता जिसमें अल्पसंख्यको की अच्छी खासी तादात थी , उनके उपर गोली क्यों चलवाई , दो साल के बच्चे ने क्या बिगाडा था कि उसको गोली मार दी। उद्योग के लिये सस्ते दर पर जमीन देते समय सिर्फ़ मंत्रियों के पुत्र पुत्रियां नजर आई थीं। गया जिले में नक्सलवादी के नाम पर बेकसूर पंचम को गोली क्यों मारा, वह तो दलित था।

मजा तो तब आयेगा , जब वहां के सवर्ण से लेकर दलित तक सवाल पुछना शुरु करेंगें। राजपूत पुछेंगें , विजय कर्ष्ण के साथ धोखा क्यों , क्या ब्राहम्णों की बेटी बहु सिर्फ़ बलात्कार के लिये हैं , याद दिलाया जायेगा रुपम पाठक कांड , दलित पुछेंगें पंचम को क्यों मारा, अल्पसंख्यको का सवाल होगा दो साल के बच्चे की हत्या क्यों । आज जो बटाला हाउस का प्रश्न उठ रहा है, उससे बडा मुद्दा है फ़ारबिसगंज गोली कांड । रह गई सुशासन की घुट्टी , तो उसे पिलाना मुश्किल  होगा , आचार संहिता लागू है, चाहकर भी राजदीप, रवीश और हरवंश कुछ नही कर पायेंगें। भ्रष्टाचार का मसला भी उठेगा । दुनिया का सबसे भ्रष्ट राज्य बन गया है बिहार नीतीश के शासन में। भारत देश के भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में नीचे से दुसरे या तीसरे नंबर पर है और बिहार भारत का  सबसे भ्रष्ट राज्य है। मजेदार बात एक और है , बिहार की सीमा से सटे क्षेत्र की जनता जिसको बरगलाने की सोच रहे हैं नीतीश , पुछेगी , हम तो बिहार से बालू और पत्थर लाते थें अपना घर बनाने के लिये , छह साल के शासन में दस गुना दाम बढा दिया बालु और पत्थर का , क्यों आपको वोट दें। सबसे ज्यादा महंगाई बढानेवाले मुख्यमंत्री नीतीश जी आप हैं , क्या बिहार को बर्बाद करके मन नही भरा जो यूपी को बर्बाद करना चाहते हैं । हां शराबी समाज का वोट मिल सकता है यूपी चुनाव में नीतीश को क्योंकि शराब सबसे सस्ती बिहार मे है लेकिन उसके लिये चुनाव आयोग से शराब पीकर मतदान करने देने की अनुमति लेना होगा क्योंकि शराबी तभी दिल की बात मानता है जब वह नशे में हो वरना दिमाग चलाने लगता है और दिमाग चलाया नही कि वोट गायब।

कहीं ऐसा न हो कि चौबे गये छब्बे बने दूबे बनके लौट  आयें  वाली बात हो जाये । २०१४ का चुनाव भी संकट भरा है। लालू बदल गये हैं , कांग्रेस भी चाल समझ गई है, यूपीए गठबंधन को तोडकर के राज्य की सता हासिल की नीतीश ने। हर दल में अपने आदमियों के माध्यम से यह संदेश फ़ैलाया कि जो लालू के विरोध की बात करेगा , उसे हीं जनता वोट देगी । मतो का विभाजन हुआ , नीतीश सता में आयें। बाद में सभी दलों में बैठे हुये समर्थको को पुरुस्कार भी मिला। महाचंद्र सिंह जी से पूछें। इसबार राजद का चेहरा बदला हुआ है , यादवों की पार्टी बना देने का हश्र लालू भोग चुके हैं , यादव रहेंगें लेकिन शरीफ़ यादव , रामकर्पाल यादव जैसे। अभी सबसे ज्यादा चरित्रवान नेता राजद के पास हैं। जगदानंद सिंह ने राजनीति में नैतिकता का उदाहरण पेश किया , अपने हीं पुत्र को पार्टी के खिलाफ़ खडे होने पर हराकर । रघुवंश प्रसाद सिंह , नीतीश के किसी भी मंत्री से ज्यादा योग्य हैं । रामचन्द्र पूर्वे के चरित्र पर उंगली नही उठाई जा सकती है। राजनिति प्रसाद आम जन की तरह व्यवहार करने वाले नेता हैं। कठिन होगा इसबार का चुनाव अगर यूपीए गठबंधन  का प्रमुख दल कांग्रेस सदाकत आश्रम में बैठे हुये अपने चवन्नी छाप नेताओं के बहकावे में न आया तब।



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