डाक्टरों को जेल हो : बिहार के जूनियर डाक्टर हडताल पर



बिहार के जूनियर डाक्टरों की  हडताल ; डाक्टरों को जेल हो

बिहार के जूनियर डाक्टरों ने हडताल पर जाने का एलान किया है । अभी कुछ दिन पहले राजस्थान के डाक्टरों ने हडताल की थी, इलाज के बिना सैकडो मरीज मर गयें, न तो सरकार ने और न हीं न्यायपालिका मे उन डाक्टरों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई की जो बिमार मरीजों की मौत के जिम्मेवार थें। न्यायपालिका को स्वत: संग्यान लेने का अधिकार है । एक डाक्टर की शिक्षा पर देश का पचास लाख रुपया खर्च होता है , यह आम जनता का पैसा है । डाक्टरों का वेतन भी ज्यादा है तथा प्रायवेट प्रेक्टिस की छूट भी हासिल है । पहले डाक्टर एक फ़ीस मे माह भर देखते थें, अब पन्द्रह दिन। दवा कंपनियों से कमीशन अलग मिलता है। इसके अलावा दवा का प्री मार्केटिंग  ट्रायल भी डाक्टर करते हैं और हमारे देश में कोई ऐसा कानून नही है जिससे इन्हें दवा के ट्रायल से रोका जा सके। बिहार के स्वास्थ मंत्री ने डाक्टरों की हडताल पर गुस्साते हुये हाथ काट लेने की बात कह दी , इससे ये डाक्टर और भडक गये हैं। आम जनता डाक्टरों का सम्मान नही करती , उसकी नजर में ये क्रिमिनल हैं। एक बाहुबली बिहार में था , शहाबुद्दीन जो सिवान का एम पी था , उसने अपने क्षेत्र में डाक्टरों की मनमानी पर रोक लगाई थी । उनके फ़ीस का निर्धारण कर दिया था । किसी डाक्टर की हिम्मत नही थी , निर्धारित दर से ज्यादा ले। केन्द्र से लेकर राज्य की सरकार तक जो काम न कर पाई , उसे शहाबुद्दीन ने कर दिया था। डाक्टर हडताल पर जायें लेकिन पहले वह पैसा वापस करें जो देश ने इनकी पढाई पर खर्च किया है , अगर पैसा वापस किये बगैर ये हडताल पर जाते हैं तो इन्हें तबतक जेल में रखा जाय , जबतक ये पैसा नही वापस कर देतें। सेना में एन डी ए में जानेवालों के लिये एक नियम है , अगर ट्रेनिंग छोडते हैं तो उन्हें वह रकम वापस करनी पडती है जो उनके ट्रेनिंग पर खर्च हुई है । रह गई डाक्टरों की हडताल से स्वास्थ सेवा बाधित न हो , इसकी बात , तो देश की सत्तर प्रतिशत जनता कंपाउंडर और देहात में कार्यरत क्वेक ( quack ) यानी  मेडीकल की पढाइ किये बिना डाक्टर का काम करने वालों से ईलाज कराती है । इनका उपयोग सरकार कर सकती है, वैसे भी जूनियर डाक्टरों से ज्यादा काबिल एक क्वेक या कंपाउंडर होता है । आम जनता को भी डाक्टरों की हडताल का विरोध करना चाहिये , अगर नेताओं पर जूते चप्पल चल सकते हैं तो इन हडताली डाक्टरों पर क्यों नहीं । आम जनता सडकों पर आकर इनकी पिटाई शुरु कर दे ये होश में आ जायेंगें। अगर आप पिटाई नही कर सकते तो कम से कम इनका बहिष्कार करें यानी दुकानदार इन्हे सामान न दे, टेंपो चालक इन्हें न बैठाये , जब इनका जूलुस गुजरे तो आप छुपकर के हीं सही चोर चोर के नारे लगायें। एकमात्र यही रास्ते बच गये हैं इनसे निपटने का ।


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