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Showing posts from January, 2012

डाक्टरों को जेल हो : बिहार के जूनियर डाक्टर हडताल पर

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बिहार के जूनियर डाक्टरों की   हडताल ; डाक्टरों को जेल हो बिहार के जूनियर डाक्टरों ने हडताल पर जाने का एलान किया है । अभी कुछ दिन पहले राजस्थान के डाक्टरों ने हडताल की थी , इलाज के बिना सैकडो मरीज मर गयें , न तो सरकार ने और न हीं न्यायपालिका मे उन डाक्टरों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई की जो बिमार मरीजों की मौत के जिम्मेवार थें। न्यायपालिका को स्वत : संग्यान लेने का अधिकार है । एक डाक्टर की शिक्षा पर देश का पचास लाख रुपया खर्च होता है , यह आम जनता का पैसा है । डाक्टरों का वेतन भी ज्यादा है तथा प्रायवेट प्रेक्टिस की छूट भी हासिल है । पहले डाक्टर एक फ़ीस मे माह भर देखते थें , अब पन्द्रह दिन। दवा कंपनियों से कमीशन अलग मिलता है। इसके अलावा दवा का प्री मार्केटिंग   ट्रायल भी डाक्टर करते हैं और हमारे देश में कोई ऐसा कानून नही है जिससे इन्हें दवा के ट्रायल से रोका जा सके। बिहार के स्वास्थ मंत्री ने डाक्टरों की हडताल पर गुस्साते हुये हाथ काट लेने की बात कह दी , इससे ये डाक्टर और भडक गये हैं। आम जनता डाक्टरों का सम्मान नही करती , उसकी नजर में ये क्रिमिनल हैं। एक बाहुबली बिहार में था ...

टाइम्स आफ़ इंडिया के कार्यालय में तोडफ़ोड

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टाइम्स आफ़ इंडिया के कार्यालय में तोडफ़ोड कल दोपहर में मुंबई के छत्रपति शिवाजी क्षेत्र में स्थित टाइम्स आफ़ इंडिया के कार्यालय में सैकडो शिव सैनिकों ने तोडफ़ोड की । तोडफ़ोड का कारण था एक समाचार जो शिव सेना के अमरावती क्षेत्र से सांसद आनंद राव अदसुल के एन सी पी में जाने की संभावना से संबंधित था । टाइम्स  ने समचार की सत्यता को परखे बिना यह समाचार प्रकाशित कर दिया कि अडसुल एन सी पी में जाने वाले हैं। अखबारों की चाल को समझना मुश्किल है । जैसे बिहार में प्रभात खबर , दैनिक जागरण और हिंदुस्तान सरकार की चापलूसी में दिन रात एक किये हुये हैं। इस हमले को मैं अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार नहीं मानता । गलत करोगे , फ़ल भोगना पडेगा । मैने पहले भी लिखा है , पत्रकारिता में आ रही गिरावट के कारण आने वाले समय में पत्रकारों को लोग दौडा दौडा कर पिटेंगें। आज अगर यह जांच हो कि इस समाचार को किसके इशारे पर टाइम्स आफ़ इंडिया ने प्रकाशित किया था तो सच सामने आ जायेगा। पेड न्यूज की शुरुआत दैनिक जागरण ने की थी , फ़ल सबको भोगना पड रहा है , अभी नगर निगम के चुनाव बिहार में होने जा रहे हैं , चुनाव के दौरान तो च...

गण से जुदा तंत्र यह कैसा गणतंत्र

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गण से जुदा    तंत्र यह कैसा गणतंत्र मैं न तो स्वतंत्रता दिवस मनाता हूं और न हीं गणतंत्र दिवस । पहले छात्र जिवन में बडे उत्साह के साथ मनाता था , लेकिन स्नातक होने के बाद जब यह पाया कि न तो हमें स्वतंत्रता मिली और न हीं हम गंणतांत्रिक मुल्क हैं , फ़िर इन दोनो को मनाने का दिखावा क्यों । आजादी जिसे कहते हैं , वह सता का हस्तांतरण था , उसे हासिल करने में हमारी कोई भूमिका नही थीं। सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद भारत पर शासन करना आर्थिक रुप से अंग्रेजो के लिये लाभदायक नही रह गया था और इंग्लैंड के चुनाव में लेबर पार्टी का भारत को आजाद करने का  वादा था , इंग्लैंड की संसद ने कानून पास किया , तथा  कुछ शर्तों के साथ सता का हस्तांत्रण  कर दिया। इंगलैंड के शासक चले गयें , देश के शासकों के हाथ में सता आ गई , जनता को बहलाने के लिये इन शासकों ने सता हस्तांतरण को आजादी का नाम दे दिया , जिससे इन्हें सता में काबिज रहने में सहूलियत हो ।  । गणतंत्र दिवस , अपने संविधान की ...

जज काटजू बने समीक्षक

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जज काटजू बने समीक्षक अभी अभी प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष काटजू ने एक बयान दिया है सलमान रश्दी के बारे में । रश्दी को उन्होने  खराब लेखक बताया है तथा यह भी कहा है कि सैटेनिक वर्सेज के पहले उन्हें बहुत कम लोग जानते थें। लगे हाथ उन्होने भारत के शिक्षित लोगों को औपनिवेशिक भावना से ग्रसित   बता डाला । काटजू महोदय कब से समीक्षक बन गयें यह तो नही पता लेकिन जब से उन्होनें प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष का पद संभाला है , अपने विवादास्पद बयान तथा हरकतों के लिये चर्चित हैं। नेट तथा सोशल मीडिया को अपने अंदर लाने का भी जोरदार प्रयास इन्होनें किया । ये महाशय कितने महान है उसकी एक बानगी दे रहा हूं । भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की महापरिषद की बैठक चल रही थी तथा नये अध्ययन केन्द्र खोलने के लिये चर्चा हो रही थी , श्रीमान काटजू ने झट से प्रस्ताव रख दिया रतलाम जिले के जावरा में एक केन्द्र खोलने का क्योंकि  जस्टिस मार्कंडेय काटजू के पिता स्व. कैलाश नाथ काटजू जब मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजे गए तब जावरा विधान सभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा था...

दारुल उलेमा देवबंद रा्ष्ट्रद्रोही संगंठन है

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दारुल उलेमा देवबंद रा्ष्ट्रद्रोही संगंठन है सलमान रश्दी पहले भी भारत आते रहे हैं , लेकिन इसबार जयपुर विवादोत्सव में उनके आने को लेकर के देवबंड नामक संगठन ने जोरदार हंगामा किया , चुनाव सामने था , केन्द्र से लेकर राज्य की सरकार इन सढियल उल्लेमाओं के आगे नंगी खडी नजर आइ । इस पूरे प्रकरण ने देश के बुद्धिजिवियों के चेहरे पर पडे नकाब को उतार कर रख दिया। हुसैन के लिये रो रो कर टब भरनेवाले साम्यवादियों कान में रुई डालकर सोये नजर आयें। एक नया लेखक चेतन भगत जो हर विषय पर अपनी राय रखने का शौकिन है , उसने भी राजनीतिक बातें करना और उल्लेमाओं के पक्ष में बोलना शुरु कर दिया । देवबंद जैसी संस्थाओं को प्रतिबंधित करने की जरुरत है । आर एस एस से ज्यादा खतरा देवबंद जैसी संस्थाओं से है। ऐसा नही है कि सैटेनिक वर्सेज में सिर्फ़ इस्लाम की चर्चा है , हिंदु धर्म के उपर भी अच्छा कटाक्ष किया है सलमान रश्दी ने। एक जगह यह लिखा है  कि कुछ औरतों को  गनेश  का मुखौटा लगे  गीब्रील फ़रिश्ता के साथ सेक्स करना ज्यादा आनंद दायक लगता है । गब्रील फ़रिश्ता  फ़िल्मों में हिंदु देवताओं का चरित्र...

है हिम्मत तो जांच करायें नीतीश

है हिम्मत तो जांच करायें नीतीश गया नगर निगम का उप मेयर भ्रष्ट है ; करोडो का है भ्रष्टाचार गया नगर निगम भ्रष्टाचार के लिये हमेशा याद किया जायेगा। इस नि्गम का उप मेयर है मोहन श्रीवास्तव , यह शायद हजार बुरा आदमी मरा होगा तो एक मोहन श्रीवास्तव पैदा हुआ होगा। राजद के शासनकाल में लालू के दो दुलारे सालों में से एक का अति निकट रहा था । बिहार के प्रसिद्ध अतुल अपहरण कांड का यह मुजरिम भी था तथा उस अपहरण कांड के कारण राजद के बाहुबली विधायक और मंत्री सुरेन्द्र यादव को मंत्री पद गवाना पडा था हालांकि उस मुकदमें में यह रिहा हो चुका है लेकिन रिहाई  रहस्मय है। जज महोदय हीं बेहतर जानते हैं रिहा होने का कारण । राजद के एक मंत्री का भी यह पीए रह चुका है । पीए रहने के दरम्यान इसने करोडो कमाये और बाद  में खुद राजनीति में आ गया । ब्यूटी पार्लर के   मालिक मोहन के पार्लर में बाहर की लडकिया मालिश का काम करती हैं। राजद के एक विधायक ने बातचीत के क्रम में बताया था कि जब वे मंत्री थे तो मोहन से उनकी निकटता का कारण कम उम्र की लडकिया थीं   जो मोहन उन्हें उपलब्ध   कराता था । विगत चुनाव में मोहन...

नक्सली हमले में 13 जवान शहीद

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नक्सली हमले में 13 जवान शहीद गढ़वा ( झारखंड ) : झारखंड के भंडरिया थाना क्षेत्र में शनिवार पूर्वाह्न माओवादियों द्वारा किए बारूदी सुरंग विस्फोट में 13 जवान शहीद हो गए। लेकिन ये घटना इस इलाक़े के हिंसक इतिहास की एक कड़ी मात्र है. झारखंड में रांची से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित ये इलाक़ा माओवादियों का गढ़ है और नक्सल हिंसा प्रभावित पलामू , लातेहार जैसे ज़िलों से सटा है. बंधुआ मज़दूरी ’ और ज़मींदारों की ‘ निजी सेनाओं ’ के लिए कुख्यात रहे इस इलाक़े में सामंतवाद के खिलाफ़ लामबंद हुए खेतीहर मज़दूरों के आंदोलनों को माओवादियों का समर्थन मिला और समय के साथ माओवादियों ने इलाक़े में अपनी पैठ जमा ली . विस्फोट के बाद माओवादियों ने घायल 11 जवानों के सिर में गोली मारकर उनकी हत्या की और हथियार लूट लिए। इस दौरान घायल थाना प्रभारी रामबलि चौधरी व चालक सुनील को वज्रवाहन में डालकर जिंदा जला दिया गया। घटनास्थल के पास से गुजर रहीं जिला परिषद अध्यक्ष सुषमा मेहता , परिषद सदस्य हीरवंती देवी और उनके अंगरक्षक को माओवादियों ने अगवा कर लिया है। घटना में गंभीर रूप से घायल दो पुलिस जवानों को इलाज ...

जयपुर में सैटेनिक वर्सेज का पाठ

जयपुर साहित्य महोत्सव में सैटेनिक वर्सेज का पाठ   रश्दी न आयें लेकिन उनकी आवाज गुंजी । यह आवाज अशोक गहलोत , मनमोहन से लेकर सता के तलुये चाटने वाले जयपुर साहित्य महोत्सव के आयोजकों के गाल पर तमांचा है जोरदार तमाचा। मुझे तमाचा खाने के बाद अपनी गाल सहलाता मनमोहन सिंह , अशोक गहलोत और आयोजक नजर आ र हे     है , आह क्या दर् ‍ श्य है । वैसे कल महोत्सव में साहित्यकारों ने विरोध दर्ज करते हुये सैटेनिक वर्सेज के कुछ अंशो का पाठ किया । यह जवाब था अशोक गहलोत , मनमोहन और इस्लामिक कट्टरपंथियों को। मैने भी सैटेनिक वर्सेज को अपने साइट पर पोस्ट किया है । सरकार द्वारा सैटेनिक वर्सेज को बैन करने के खिलाफ़ प्रतिकार है । कट्टरपंथियों को जवाब भी है। विरोध दर्ज करानेवाले साहित्यकारों की फोटो हम यहां दे रहे हैं । वैसे तो देश में धर्मनिरपेक्ष कोई राजनीतिक दल नही है । कुछ हिंदु कट्टरवाद को बढावा देते हैं और कुछ इस्लामिक कट्टरवाद को । बडे कायराना ढंग से सलमान रश्दी के मामले में कांग्रेस सरकार ने घुटने टेक दिये। कट्टरपंथियों की आवाज देवबंद की एक धमकी ने केन्द्र से लेकर राजस्थान सरकार...

व्हाइट हाउस में बम फ़टा

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व्हाइट हाउस में बम फ़टा अमेरिका के राष्ट्रपति का निवास दुनिया का सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है । आज वहां धुआं बम फ़ेका गया । यह काम अक्यूपाई वाल स्ट्रीट के आंदोलनकारियों ने किया। वाकई  बम फ़ेका गया या उस आंदोलन को दबाने की यह एक साजिश है यह तो जांच के बाद हीं पता चल पायेगा और कोई जांच होगी नही। अक्यूपाई आंदोलन पूंजीवाद के खिलाफ़ अमेरिकी जनता का आक्रोश है । न सिर्फ़ भारत में , दुनिया के सभी देशों में जहां पूंजीवाद है , वहां अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई है। कल तक आउट सोर्सिंग की बात उठती थी । हमारे देश का जमूरा मंटोक आउट सोर्सिंग को भारत के लिये वरदान मानता था । आज अमेरिका जो सबसे बडा आउट सोर्सिंग करनेवाला मुल्क था , उसने अपने नीतिगत घोषणा में इन सोर्सिंग यानी देश का रोजगार देश के अंदर की बात शुरु कर दी है। अक्यूपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन वस्तुत : समाजवाद का आंदोलन है । जब व्हाइट हाउस में बम फ़टा तो ओबामा परिवार वहां नहीं था। सुरक्षा कारणों से व्हाइट हाउस को सिल कर दिया गया है। टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

नीतीश से सवाल पूछने की सजा: स्टार न्यूज के पटना दफ़्तर में प्रशासन ने जडा ताला

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नीतीश से सवाल पूछने की सजा : स्टार न्यूज के पटना दफ़्तर में प्रशासन ने जडा ताला स्टार न्यूज के पटना दफ्तर पर प्रशासन ने जड़ा ताला हाइकोर्ट ने चौबीस घंटे के अंदर बिस्कोमान प्रशासन को ताला खोलने का दिया आदेश- पटना से एक बड़ी खबर यह आ रही है कि पटना के बिस्कोमान • ावन स्थित स्टार न्यूज के कार्यालय पर प्रशासन ने सोमवार की रात्रि ताला जड़ दिया। सनद रहे कि सरकार ने कुछ माह पूर्व ही बिस्कोमान को सुपरसीड कर कड़क आईएएस सीके अनिल को बिस्कोमान का प्रशासक बनाया है। स्टार न्यूज के दफ्तर पर ताला     सी के अनिल के आदेश पर ही जड़ा गया। बताया जाता है कि स्टार न्यूज का तीन वर्षों का एग्रीमेंट खत्म हो गया था और बिस्कोमान प्रशासन नए रेट में एग्रमेंट और किराया चाह रही थी जिसके लिए पुराने दर पर किराया लेने वाले तैयार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार बिस्कोमान ने नया रेट लग भ ग 32 रुपए प्रति एस्क्वायर फीट तय कर रखा है जबकि यहां पूर्व से सात रुपए से लेकर 24 रुपए एस्क्वायर फीट पर किराएदार हैं। सूत्र बतातें हैं कि बिस्कोमान ने नए दर पर स्टार न्यूज का किराया जोड़ उसे नोटिश दी थी। इधर स्टार न्यूज के सूत्र...

यूपी में नीतीश : रुपम बलात्कार, फ़ारबिसगंज गोली कांड, बियाडा घोटाला, पंचम एनकाउंटर

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यूपी में नीतीश : रुपम बलात्कार , फ़ारबिसगंज गोली कांड , बियाडा घोटाला , पंचम एनकाउंटर का देना होगा जवाब यूपी के चुनाव में नीतीश कुमार   का दल जदयू भी अपनी औकात नापने की तैयारी कर चुका है । मामला कुछ और है , सामने २०१४ का लोकसभा चुनाव है। नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री पद से उपर का पद पाने की चाह के लिये यह चुनाव एक पैमाना है। प्रधानमंत्री का सपना अखबार वाले नीतीश कुमार को दिखा रहे हैं। पीएम का पद आठ दस एमपी की बदौलत तो मिलने से रहा । रवीश कुमार , आशुतोष , राजदीप सरदेसाई और हरवंश ने इतना चढाया कि नीतीश को भी गलत फ़हमी हो गई है कि वे वाकई पीएम के योग्य हैं। खैर यूपी चुनाव औकात बता देगा। यूपी में कोई लालू नही है। और न हीं सवर्णों के नेता का अभाव है । अल्पसंख्यक के लिये ढेर सारे विकल्प हैं। दलित तो सता में ही है । यूपी में बिहार की तरह विकल्पहीनता की स्थिति नही है । बिहार में नीतीश विकल्पहीनता के विकल्प थें। वहां हालात उल्टे हैं , जैसे बिहार की जनता लालू से उनके काल में हुई गुंडागर्दी का जवाब मांगती थी , उसी तरह यूपी की जनता सवाल करेगी रुपम पाठक के बलात्कारियों के खिलाफ़ कार्रवाई न क...

रामदेव के गुंडो पर मुकदमा क्यों नही

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रामदेव के गुंडो पर मुकदमा क्यों नही एक नौजवान कामरान सिद्दिकी ने रामदेव के मुह पर कालिख फ़ेकी । उस नौजवान को रामदेव के गुंडों ने भर दम पिटा । प्रशासन देखता रहा । अखबार वाले जाहिल पत्रकार उस घटना के बाद रामदेव से यह प्रश्न कर रहे थें कि किसका षडयंत्र है । यह आम जनता का गुस्सा है जिसका कारण जनता के साथ रामदेव द्वारा की गई धोखाधडी । रामदेव अरबपति हैं। चोर की तरह औरतों के कपडे पहनकर   भाग   गये थें रामलीला मैदान से । चाहे रामदेव हो या अन्ना , इनकी ताकत नानसेंस वैल्यू है यानी अगंभीर बातों के आधार पर जनता को उद्वेलित करना और मजमा लगाना । आत्मबल नही होता इनके अंदर अन्यथा तुरंत धरना अनशन छोडकर भाग खडे नही होतें । रामलील मैदान में जो हुआ वह एक डरपोक , कायर व्यक्ति हीं कर सकता है , भगत सिंह , या गांधी जैसा व्यक्तित्व तो हरगिज नही , वहीं अन्ना का ड्रामा भी मजेदार रहा , बेचारे पहले से हीं कुछ नही खा रहे थें ( जैसा की उनके अनशन के  समापन के बाद बताया गया ) , लेकिन भीड न देखकर बिमार पड गयें। आनन फ़ानन में अपना तंबू शमियाना उखाडा और चल दिए , साथ में चौकडी भी गायब हो गई , व...

मैं भारत का गद्दार बनना पसंद करुंगा

मैं भारत का गद्दार बनना पसंद करुंगा भगत सिंह , आजाद जैसे लाखो क्रांतिकारी भारत के गद्दार थें , ये भारत नामक देश के खिलाफ़ नही थें , इनकी लडाई भारत की सरकार से थी । आज भी बहुत सारे लोग हैं जिनके उपर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है , इनकी खिलाफ़त भी देश से नही है , बल्कि देश की सरकार और कानून से है। कोई भी मुल्क जो स्वराज का दावा करता हो , उसे एक भी कानून बनाने के पहले लाख बार सोचना चाहिये , कानून जिसके हित के लिए बनाने की बात है , उसे पसंद है या नही वह कानून । सोशल नेटवर्किंग साईटों पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी का अर्थ समझ में नही आता । जिन सामग्रियों को आपतिजनक मानकर सरकार प्रतिबंध का यह खतरनाक खेल खेल रही है , वह हिंदु धर्म के कुछ देवी देवताओं और इस्लाम धर्म के खिलाफ़ पोस्टिंग है , वहीं कांग्रेस की आलोचना भी। कांग्रेस और भाजपा इन्हीं दो दलों के खिलाफ़ साइटो पर पोस्टिंग मिलेगी , साफ़ जाहिर है कि ये दोनो दल प्रतिबंध का गेम खेल रहे हैं। सोशल साइट्स राजनीतिक परिवर्तन का नया मंच बनकर उभर रहे हैं। पूंजीवाद के खिलाफ़  इन साइट्स पर अधिकांश पोस्टिंग है । लोगो का मन बदल रहा है। सरकार ...

Anna ka Dharna

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Anna ka Dharna  यह ब्लाग ओशो ने लिखा है । वह मेरा बेटा है । लिखकर के उसने मेरे ईमेल पर भेजा । मैं उसे यहां दे रहा हूं । लिखना पढना और खासकर समाज के ज्वलंत मुद्दो पर राय व्यक्त करना यह दर्शाता है कि आप समाज के लिये सोचते हैं और शायद यह सोच आपको समाज के लिये कुछ करने को भी बाध्य करती है । Anna Hazare, a well known public figure since the time his Lokpal stint gave him the INDIAN MEDIA’S   MOST ACCLAIMED “BHOOK HARTALI” AWARD is well known by all of us. So this just a reality check at how real is Anna Hzare’s claim to fame using lokpal bill as an alibi. People who’ve different opinion may keep it to themselves because im just using my right to speech. However you may as well appreciate my words and bring me a tad bit closer to Mr. Hazare. So , where were we? Yes, Anna Hazare. So the thing is when this country was leading a perfectly normal life and people had their own problems to cope up with, then came our Super-m-anna. He caused havoc in the political world and had the...