बरबीघा में अहिंसक आंदोलनकारियों पर चली सुशासन की लाठी



बरबीघा में अहिंसक  आंदोलनकारियों पर चली  सुशासन की लाठी

तीन निर्दोष सामाजिक कार्यकर्ताओं को गलत मुकदमें में फ़साया।

यह घटना कल की है। बिहार के अन्य हिस्सो की तरह बरबीघा भी बिजली, पानी, बेरोजगारी से लेकर भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है बरबीघा , बिहार शरीफ़ जिले का एक ब्लाक है। जन समस्याओं को उठाने की जिम्मेवारी राजनीतिक दल, समाजसेवी संगठन , सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों की है। प्रशासन का काम उन समस्याओं का निदान करना है नीतीश कुमार के शासनकाल में बिके हुए अखबार और पत्रकारों के प्रचार से  मुख्यमंत्री आत्ममुग्ध हैं नीतीश कुमार इन बिके हुए अखबारों में छप रही अपनी प्रशंसा को हीं जनता की भावना समझ रहे हैं। बरबीघा की इस घटना ने बहुत सारे सवाल पैदा कर दिया है। पहले मैं घतना का विवरण दे देना पसंद करुंगा।

कल यानी २५ नवंबर को दिन में डेढ बजे के करीब , एक जुलूस बरबीघा ब्लाक पहुचा, उसका नेतर्त्व कुछ सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे थें, ये कार्यकर्ता कोई ब्डे घरो के शौकिया कार्यकर्ता नही थें, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और किरण बेदी की तरह ये आम कार्यकर्ता थें , कबीर  के शब्दो में जो घर जारे आपना चले हमारे साथ वाले। जब इनका जुलूस ब्लाक के पास पहुंच गया तो बीडीओ साहब इनसे मिलने के बाद अपने दिखावटी काम में व्यस्त नजर आयें। नारे लगने लगें  एक पोस्टर जो नीतीश कुमार की सरकार का मद्य निषेध का लगा हुआ था , उसे प्रदर्शन में शामिल किसी युवक ने फ़ाड दिया , बस इतना काफ़ी था, वहां तैनात पुलिस कर्मियों के लिये, लाठी भांजी , छोटे छोटे नौजवान छात्रों की पिटाई की इन तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं को पकड कर थाने लाया गया , राथ भर थाने में रखने के बाद , आज दिन में जेल भेज दिया गया।

बरबीघा से अरुण साथी की रिपोर्ट

    बरबीघा की जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन कर बीडीओ को ज्ञापन देने के क्रम में गिरफ्तार किये गए दुर्गा प्रसाद धर एवं उनके साथियों को जेल भेज दिया। उनके उपर देर रात राजनीति हस्तक्षेप के बाद प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ईश्वर दयाल के द्वारा सरकारी काम मंे बाधा डालने एवं पथराव करने का प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

बरबीघा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के द्वारा प्रखण्ड कार्यालय पर पथराव करने को लेकर उक्त तीनों नेताओं सहित कुल बाइस लोगों को अभियुक्त बनाया गया है जिसमें प्रखण्ड कार्यालय में होर्डिग फाड़ने, पत्थरव करने, सरकारी काम मंे बाधा डालने का प्राथमिक बरबीघा थाना में दर्ज कराया गया जिसमें दुर्गा प्रसाद धर, मुकेश कुमार, एवं रामप्रवेश कुमार सहित अन्य लोगांे पर दंगा भड़काने सहित धारा गौरजमानती धारा 353 लगाया गया है।

दुर्गा प्रसाद धर को जेल भेजे जाने को लेकर राजनीतिक सामाजिक कार्यक्रत्ताओं कें द्वारा रोष व्यक्त किया जा रहा है । अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दुर्गा प्रसाद धर ने कहा कि जनता की समस्या को लेकर वे आंदोलन कर रहे थे और यह जुर्म नहीं होता और लोकतंत्र में जनता की आवाज को नहीं दबाया जा सकता और सरकार के इशारे पर इस तरह का कदम लोकतंत्र की हत्या के समान है । वहीं अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार नव निर्माण मंच कें जिला संयोजक चंद्रदेव सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के खिलाफ बोलना मना है और बिहार में अधोषित रूप से अपातकाल लगा दिया गया है और यहां के पदाधिकारी लालफीताशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त है और इस तरह के कदम से पदाधिकरी आवाज उठाने वाले सामाजिक लोगों को जेल भेज कर यह सही करना चाहते है कि उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाए। वहीं मंच के नेता रविशंकर सिंह ने कहा कि स्थानीय पदाधिकारी मनमानी करते हुए जनता को दोहन शोषन कर रहे है आवाज उठाने पर लोकतंत्र की आवाज दबा दी जाती है।

वहीं इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार कहा कि प्रशासन ने यह धोर अलोकतंत्रिक कदम उठाया है और इससे पता चलता है कि बिहार में किस तरह का सुशासन है। जिसमें जनता को बोलने का हक भी छिन लिया गया है जबकि सामाजिक कार्यकत्तओं को जनआंदोलन को लेकर जेल भेजे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार नवनिर्माण मंच के संस्थापक सदस्य चंद्रभुषण कुशवाहा ने कहा कि जनता को आवाज को इस तरह के मुकदमों से दबाया नहीं जा सकता और बिहार नव निर्माण मंच इसकी कड़ी निंदा करते हुए आंदोलन करने को तैयार है। वहीं एनएसयुआई के जिलाध्यक्ष रोहित ने इसकी निंदा करते हुए नीतीश कुमार की सरकार के सुशासन का सच यही है जिसमें युवाओं को अपनी आवाज रखने पर लाठी और जेल मिलती है।

 इस घटना में जहां प्रखण्ड विकास पदाधिकारी इश्वर दयाल के द्वारा शुक्रवार को पत्रकारों को कार्यालय के अंदर तोड़फोड़ नहीं करने की बात कही गई थी वहीं देर रात राजनीतिक हस्तक्षेप पर मुकदमा करने में कार्यालय कें अंदर सरकारी काम मं ेंबाधा डालने का आरोप लगाया गया है।






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