अली बाबा चार चोर बन गये हैं तानाशाह
अली बाबा चार चोर बन गये हैं तानाशाह
भाजपा हिंदुवादी शरिया कानून लाना चाहती है भारत
में
अन्ना का आंदोलन और सी आई ए की मदद
आज अन्ना ने अपनी चुप्पी तोडी , मौन मैं नही मानता उसे क्योंकि मौन व्रत एक साधना है , अध्यात्मिक क्रिया है , इसमें आप को सुनना बंद करना पडता है, सोचना बंद करना पडता है और लिखकर बोलना भी बंद करना पडता है । मौन में आप स्वंय को एक दर्शक मानकर जो घटित हो रहा हो उसे देखते भर हैं । सोचने की प्रक्रिया को बंद रखना सामान्य आदमी के बस में नही है इसीलिये मौन व्रत संतो की क्रिया है । डाक्टर जो अन्ना की देखभाल कर रहे थें , उन्होने भी जाने अनजाने यह रिपोर्ट दी कि अन्ना का बीपी मौन के कारण बढा हुआ है क्योंकि वे मौन में भी मनन करते हैं। मौन आंनद की अवस्था है । मैने अन्ना के ब्लाग पर यह लिखा था , उसके बाद उनका एक प्रेस रिलीज आ गया कि उनका मौन हेल्थ के कारण है । आज चुप्पी तोडने के बाद एक प्रेस कांफ़्रेस अली बाबा चार चोर ने दिल्ली में किया । चार चोर से तात्पर्य है , अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी , प्रशांत भुषण । अली बाबा हैं अपने अन्ना । उस प्रेस कांफ़्रेस में उतराखंड के लोकायुक्त कानून की प्रशंसा करते हुये अन्ना ने खडूरी को दिल्ली में सम्मानित करने की बात भी कह डाली । कांग्रेस के खिलाफ़ अन्ना ने विधान सभा चुनावों में खिलाफ़ प्रचार करने की बात कही है । अन्ना नाम के इस शख्स को यह भी शायद नही पता कि निगमानंद गंगा को बचाने के लिये ६७ दिन तक अनशन पर रहें और उनकी मौत हो गई । अभी जो खंडूरी मुख्यमंत्री बने हैं , यह आज या कल नही पैदा हुये हैं , निगमानंद जब अनशन कर रहे थें, यह उतराखंड में राजनीति कर रहे थें। जब मेरे जैसे लोग आवाज उठा रहे थें , यह खंडूरी खामोश थें । पाप था यह । खंडूरी उस हत्या के पाप के दोषी हैं । निगमानंद ने भाजपा के मुख्यमंत्री निशंक तथा उच्च न्यायालय के जज पर भी अभियोग लगाया था खनन माफ़िया की मदद का। ( हमने लिखा था उसे पढने के लिये यहां क्लिक करें) एक अन्य संत के साथ जबर्द्स्ती की गई , उसका भी वीडियो है जिसे हम नीचे दे रहे हैं । उतराखंड के प्रशासन की गुंडा गर्दी नजर आ जायेगी । सता खंडूरी के दल भाजपा की हीं थी । जो लोग पर्यावरण को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं , हमारे जैसे लोग उनके साथ हैं। निशंक हटाये गयें क्यों ? क्या खडूरी ने निशंक के कार्यकाल की जांच की बात की। यह अन्ना जानते है , उतराखंड में चुनाव होने हैं , एक दंतविहीन लोकायुक्त बिल पास करवा दिया खडूरी से और अब उसका प्रचार करने जा रहे हैं । अन्ना के लिये उतराखंड के चुनाव में प्रचार महंगा पडेगा ।अगर अन्ना ने इस तरह का प्रयास भी किया तो मेरा जैसा आदमी वहां मौजूद रहेगा , अन्ना की असलियत और भाजपा की उतराखंड की सरकार के पाप की कहानी के साथ । हमलोग राजनीतिग्य नहीं है और अन्ना से ज्यादा गरीब हूं । सब ड्रामा भूल जायेंगें। अभी तक राजनेताओ के साथ आस - पास खेल रहे हैं , अगर एक भी सच्चा आदमी आ गया मैदान में तो दुम दबाकर रालेगांव भागना पडेगा ।उतराखंड ने जो लोकायुक्त बिल पास किया है उसके कुछ अंश मैं हिंदी में दे रहा हूं तथा उसका लिंक दे रहा हूं जिससे कोई भी उसे पढकर समझ लें ।
चैप्टर III
लोकायुक्त एवं इसके पदाधिकारियों के अधिकार और कार्य :
(इसकी एक उपधारा है जिसे मैं नीचे दे रहा हूं )
धारा
5 ( n ) लोकायुक्त को भ्रष्ट तरीके से हासिल लीज,
लाईसेंस, परमीट , ठेका या एग्रीमेंट को रद्द करने या बदलाव लाने की अनुशंसा करने का और भ्रष्टाचार में लिप्त फ़र्म, कंपनी, ठेक्दार या कोई व्यक्ति को कालीसूची में डालने की अनुशंसा करने का अधिकार होगा । सरकारी पदाधिकारी को लोकायुक्त से प्राप्त अनुशंसा का एक माह के अंदर पालन करना
या खारिज करना होगा , अनुशंसा खारिज होने पर लोकायुक्त उच्च न्यायालय के समक्ष जाकर के सरकारी अधिकारी को यथोचित निर्देश देने की प्रार्थना कर सकते हैं।
अब एक धारा
9 के प्रावधान को भी जान लें
धारा 9 : अगर इस कानून के तहत कोई जांच चल रही है और लोकायुक्त इस बात से संतुष्ट हैं कि चल रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिये जनहित में निषेधात्मक कदम आवश्यक है तो वह सरकारी अधिकारी किसी निर्णय के अनुपालन को स्थ्गित करने का या जैसा स्थगित करने या जैसा उचित हो करने की अनुशंसा लोकायुक्त कर सकते हैं । सरकारी पदाधिकारी को लोकायुक्त से प्राप्त अनुशंसा का 15 के अंदर पालन करना
या खारिज करना होगा , अनुशंसा खारिज होने पर लोकायुक्त उच्च न्यायालय के समझ जाकर के सरकारी अधिकारी को यथोचित निर्देश देने की प्रार्थना कर सकते हैं।
अब पढें उतराखंड लोकायुक्त बिल का सबसे मजेदार प्रावधान : यह उच्च पद पर बैठे लोगों के बारे में हैं जिनके भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अन्ना जनलोकपाल को लाने की बात करते हैं ।
धारा १८ : उच्च पदासीन के खिलाफ़ अनुसंधान एवं सजा : कोई भी जांच या आरोप की कार्रवाई लोकायुक्त की फ़ुल बेंच और अध्यक्ष की अनुमति के बिना निम्नलिखित व्यक्तियों के खिलाफ़ नही की जायेगी ।
( i ) मुख्यमंत्री या मंत्रीमंडल के सदस्य ,
( ii ) उतराखंड विधान सभा का कोई सदस्य
कोई ठेका पट्टा लोकायुक्त कैंसिल नही कर सकते । उच्च न्याया्लय पहले हीं लोकायुक्त के दायरे से बाहर , मंत्रीगण भी बाहर, विधायक भी बाहर , मात्र एक सदस्य लोकायुक्त का उनके पक्ष में होना चाहिये । यू एन ओ का वीटो है यह । वस्तुत: यह जिला की अदालत की तरह है । निचली अदालत को भी वह सारे अधिकार विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राप्त है । शिकायत वाद आप दाखिल करें अदालत उसे थाने भेज कर जांच करवा सकती है । उच्च न्यायालय तो सीबीआई तक से जांच करवा सकती है ।
अन्ना याद कर ले काठ की हांडी बार –बार आग पर नही चढती , उनकी टीम के सदस्य तीन –तीन समाजसेवी संस्था चलाते हैं , विदेशों से करोडो का अनुदान लेते हैं। फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से एक करोड का अनुदान कबीर नामक संस्था को मिला है जो केजरीवाल और सिसोदिया की संस्था है । फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन का सी आई एक के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है । कल फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन और सी आइ ए के बीच जो रिश्ता है उस पर यहा एक लेख प्रकाशित करुंगा। एक और व्यक्ति हैं इन्फ़ोसिस के नारायन मूर्ति इनसे भी बच कर रहने की जरुरत है ।
उतरा खंड लोकायुक्त बिल के लिये यहां क्लिक करें
उतराखंड के संत के साथ पुलिस की गुंडागर्दी का वीडियो टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
Comments
Post a Comment
टिपण्णी के लिये धन्यवाद