अमेरिकी छात्रों को जरुरत है जयप्रकाश नारायन की
अमेरिकी छात्रों को जरुरत है जयप्रकाश नारायन की
भारत का चोर मीडिया खामोश क्यों
अमेरिकी साम्राज्यवाद की मौत के लिये बस एक अदद लीडर की जरुरत है
अक्युपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन को दबाने की हर प्रयास असफ़ल होता दिख रहा है । यह स्व:स्फ़ुर्त आंदोलन है जो अमेरिका में बढती अमीरों और गरीबों के बीच खाई तथा बेरोजगारी के कारण पैदा हुये जन आक्रोश का परिणाम है । सरकार ने पुलिस के बल पर आंदोलनकारियों को हटा दिया , लेकिन न्यायालय ने आदेश जारी किया कि इस शांतिपूर्ण आंदोलन को जबर्दस्ती न कुचला जाये । अब यह आंदोलन अमेरिका के कालेजों तक फ़ैल चुका है । अमेरिका और सीआईए मीडिया को मैनेज कर के इस आंदोलन से संबंधित खबरों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। भार्त का बिका हुआ मीडिया तो सोया है। दुनिया की क्रांति के इतिहास की अभूतपूर्व घटना है यह । दुनिया की दिशा बदलनेवाले इस आंदोलन को सबसे बडा खतरा मीडिया से है । इस आंदोलन की सफ़लता का अर्थ है , पूंजीवादी व्यवस्था का खात्मा और समाजवाद का उदय । भारत के सभी राजनीतिक दलों को भी यह पता है लेकिन भारत के पूंजीपतियों के पैसे से चल रहे दलों की हिम्मत कहां है कि इस के पक्ष में बोलें। भारत भी इसकी चपेट में आ चुका है । हालांकि रामदेव, अन्ना , अडवाणी जैसे लोगों के सहारे सीआईए भारत के लोगों के आक्रोश की दिशा को मोडने का प्रयास कर रहा है । लेकिन देर भले हीं हो , भारत इसकी जद में आने से बच नहीं पायेगा। यह आंदोलन मिस्त्र , लिबिया और सिरिया जैसा नही है । यह पूर्णत: अहिंसक है । आंदोलन के तौर तरिकों से यह भारत में हुये १९७४ के छात्र आंदोलन की याद दिलाता है । इस आंदोलन को बस अब एक अदद जयप्रकाश नारायन की जरुरत है ।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
Comments
Post a Comment
टिपण्णी के लिये धन्यवाद