यूपी में डी आई जी ने की बगावत
यूपी में डीआईजी ने की बगावत
लखनऊ।। उत्तर प्रदेश के अग्निशमन विभाग (फायर सर्विस) में तैनात डीआइजी देवेंद्र दत्त मिश्र को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पागल करार दे दिया गया। अपने विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए उन्होंने कंट्रोल रूम के रजिस्टर में 'शासन एवं सभी कुछ अवैध है। इससे बड़ा घोटाला संभव नहीं है लिखकर सनसनी फैला दी।' डीआइजी के बागी तेवर का पता चलते ही पुलिस ने उनके ऑफिस को घेर लिया और देर रात उन्हें जबरन बाहर निकाल कर लखनऊ मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर भर्ती करा दिया। पुलिस प्रशासन ने डीआईजी को मानसिक रूप से बीमार करार दिया है तो उत्तर प्रदेश सरकार ने बयान जारी कर उनके कृत्य को सरकारी आचरण सेवा नियमावली का उल्लंघन करार दिया है। इससे पहले शुक्रवार को ऑफिस पहुंचने के बाद देवेंद्र दत्त मिश्र ने फाइलें तलब कीं और उन पर टिप्पणियां लिखीं। इसके बाद उन्होंने मीडिया से दर्द बयां करते हुए कहा,'शासन में सब भ्रष्ट हैं। खरीद-फरोख्त की फाइलों पर कल तक मेरे भी हस्ताक्षर हुए हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि सब गलत है। आज मुझे होश आया तो रिस्क उठा रहा हूं।' अग्निशमन विभाग में भ्रष्टाचार से बुरी तरह मिश्र ने करोड़ों की अवैध खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा कि पानी के 13 टैंकर की बॉडी के अवैध निर्माण में खरीद आदेश पर दस्तखत करने को एडीजी दबाव डाल रहे थे। उन्होंने कहा उनकी जान को खतरा है लेकिन सुरक्षा के लिए सरकार से कोई मांग नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप भी लगाया कि आईएएस ऑफिसर हरमिन्दर राज ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उनकी हत्या की गई। मिश्र ने बताया कि हरमिन्दर राज के हाथ शासन के भ्रष्टाचार के कई सुबूत लग गए थे, इसलिए उनकी हत्या की गई। उन्होंने सरकार के एक मंत्री पर भी आरोप लगाया। मिश्र ने दो टूक कहा कि उनकी इस कार्रवाई पर अगर उन्हें निलंबित किया गया तो वह कोर्ट जाएंगे। अपनी सीट के पीछे लगी महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी सेवा में कभी मैंने किसी की मिठाई नहीं खाई। गांधी जी के आदर्शो पर चलते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम बढ़ा रहा हूं। उन्होंने गैलेंट्री अवॉर्ड के लिए चल रही दो सिपाहियों की फाइल पर भी लिख दिया कि उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। मीडिया से डीआईजी की बात करते ही शासन और प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस वहां पहुंच गई और लगभग चार घंटे तक उनसे ऑफिस छोड़ने के लिए मनुहार करती रही, लेकिन वह घर जाने को तैयार नहीं थे। फिर उनकी बेटी को बुलाया गया और एक इंस्पेक्टर ने धक्का देते हुए उन्हें कार में बिठाया और उनकी नीली बत्ती भी उतार दी। मिश्र इस हरकत से बेहद तमतमाए थे, लेकिन जोर जबर्दस्ती के आगे मजबूरन उन्हें ट्रॉमा सेंटर जाना पड़ा। इस दौरान वहां पहुंचे डीआइजी डी.के. ठाकुर ने कहा कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए अस्पताल ले जाया जा रहा है।
गया के पूर्व एस एस पी अमीत लोडा ने भी किया था मानवाधिकार का हनन
भ्रष्टाचार और मनवाधिकार का हनन कोई नई बात नही है पुलिस महकमे के लिये । बिहार के विधान सभा के चुनाव के दौरान गया के बोधगया क्षेत्र से एक मोटलनुमा झोपडी पट्टी होटल से सी आर पी एफ़ ने तीन लोगों को नक्सलाईट के कहकर गिरफ़्तार किया। मुझे जैसे हीं पता चला मैने उस समय गया के एस एस पी अमित लोढा से फ़ोन पर जानकारी चाही । अमित लोढा ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि तीन आदमी गिरफ़्तार किये गये हैं। गया नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र है इसलिये यह आम बात हैं यहां के लिये । बोधग्या के थाना प्रभारी एक तिवारी थें उन्होने भी गिरफ़्तारी को स्वीकार किया। ३-४ दिनों तक कोई समाचार किसी भी अखबार में नही निकला । मैने अपने सूत्रों से पता किया तो मालूम पडा कि उन सब को सी आर पी एफ़ के कैंप में रखा गया है , वहीं पुछताछ हो रही है , कोई मुकदमा दर्ज नही किया गया है । यह कानूनन गलत था। गया के जिलाधिकारी के यहां प्रेस कांफ़्रेस थी , मैं उस वक्त बिहार रिपोर्टर में लिखता था। प्रेस कांफ़्रेस में जिलाधिकारी संजय सिंह चुनाव के मद्दे नजर प्रशासन की तैयारी के बारे में बता रहे थें। उसके बाद अमित लोढा प्रेस कांफ़्रेस को संबोधित करने लगें। सभी अखबार के ब्यूरो चीफ़ वहां थें। दैनिक जागरण के पंकज , हिन्दुस्तान के सतीश मिश्रा , प्रभात खबर के रिपोर्टर के अलावा तकरीबन सभी न्यूज चैनल के रिपोर्टर थें। मैने अमित लोढा से पुछा किस कानून के तहत बिना कोई केस दर्ज किये तीन दिन - चार दिन से उनलोगों को सी आर पी एफ़ के कैंप में रखा गया है ? अमित लोदा का जवाब था , उनसे सिर्फ़ पुछताछ की जा रही है , गिरफ़्तार नही किया गया है । मैने फ़िर पुछा क्या सी आर पी एफ़ के कैंप में रखकर पुछताछ की जा सकती है , अमित लोढा ने सी आर पी एफ़ के कैंप में रखकर पुछताछ को जायज ठहराया । गया से लेकर दिल्ली तक से आये हुये मीडिया जगत के चपन्दुस पत्रकारों को मेरा प्रश्न पुछना नागवार लग रहा था। खैर मैने ये सारी बातें रिकार्ड् कर ली । बाद में भी पता नही चला उन तीनों का क्या हुआ , क्या उन्हें छोड दिया गया या मार दिया गया ? आज भी यह रहस्य है। बात में अमित लोढा ने एक अच्छा काम या कहें की अपने पाप के प्रायश्चित के लिये किया वह था एक गरीब लडका अमित कुमार को जो खडगपुर आई आइ टी में पढ रहा था उसे बीस हजार की आर्थिक मदद की और उसके पढने का खर्च उठाने की भी बात की । हमारे चमचे पत्रकार और अखबारों ने अमित लोढा की इस दरियादिली को खुब उछाला । आज भी छानबीन हो तो पता चल सकता है लेकिन कौन करेगा , अपने सीमित साधन से मैं यह करने में सक्षम नहीं हूं । अमित लोढा का चुनाव के बाद तबादला हो गया और वर्तमान में वे पूर्णिया में पदस्थापित हैं । गया से तबादला हुआ तो उनका नागरिक सम्मान भी किया गया । यह है समाज का सच ।
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