पत्रकारों को मिला दिवाली उपहार, मजीठिया वेतनबोर्ड को मिली मंजूरी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज समाचार
पत्रों एवं संवाद एजेंसियों के पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों के वेतनमान
में संशोधन संबंधी मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी दे दी.
संशोधित वेतनमान एक जुलाई 2010 से लागू होगा जबकि मकान किराया भत्ता और परिवहन भत्ता सहित अन्य भत्ते
अधिसूचना जारी होने के दिन से प्रभावी होंगे.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की
अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया.
केन्द्रीय श्रम मंत्री मल्लिकाअर्जुन खड़गे और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका
सोनी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि इस निर्णय से देश भर के 40,000 से अधिक पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी लाभान्वित
होंगे. उन्होंने कहा कि फैसले की अधिसूचना शीघ्र जारी कर दी जायेगी.
संशोधित वेतनमान पुराने मूल वेतन
और जून 2010 तक का मंहगाई भत्ता एवं 30
प्रतिशत अंतरिम राहत के योग पर आधारित होगा. अंतरिम राहत पहले से ही
दी जा रही है.
खड़गे ने बताया कि अखबारों को उनके
कुल कारोबार के आधार पर आठ श्रेणियों में और समाचार एजेंसियों को चार श्रेणियों
में बांटा गया है. प्रथम चार श्रेणी वाले अखबारों के कर्मचारियों को 35 प्रतिशत की दर से और अंतिम चार श्रेणी के अखबार के
कर्मचारियों को 20 प्रतिशत की दर से संशोधित वेतनमान मिलेगा.
सभी भत्तों के आंकलन के लिए संशोधित मूल वेतन में परिवर्तनीय मद के वेतन : वेरियेबल
पे: को जोड़ा जाना चाहिए.खड़गे ने बताया कि इसी तरह समाचार
ऐजेंसियों की प्रथम दो श्रेणियों और अंतिम दो श्रेणियों के लिए भी उपरोक्त मापदंड
सुझाए गए हैं.
उन्होंने बताया कि जिस अखबार का कुल
कारोबार एक हजार करोड़ रूपये और उससे अधिक है उसे पहली श्रेणी में रखा गया है. इसी
तरह 500 करोड़ रूपये और उससे अधिक कारोबार वाले को द्वितीय,
100 करोड़ और उससे अधिक लेकिन 500 करोड से कम
वाले को तीसरी, 50 करोड़ रूपये लेकिन सौ करोड़ से कम वाले को
चतुर्थ श्रेणी, 10 करोड़ लेकिन 50 करोड
से कम कारोबर वाली पांचवीं श्रेणी, पांच करोड़ और उससे अधिक
लेकिन दस करोड से कम को छठी श्रेणी और एक करोड़ से कम वाले को आठवीं श्रेणी में
रखा गया है.
संवाद ऐजेंसियों के मामले में जिनका कारोबार 60 करोड़ और उससे ज्यादा है उसे प्रथम श्रेणी में रखा गया है जबकि 30 करोड़ से ज्यादा लेकिन 60 से कम को द्वितीय श्रेणी,
दस करोड़ और उससे ज्यादा लेकिन 30 करोड़ से कम
को तीसरी श्रेणी और दस करोड़ से कम वालों को चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है.
खड़गे ने कहा कि मकान किराया भत्ता एक्स वाई और
जेड श्रेणी के शहरों के लिए क्रमश: 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की दर से लागू होगा. इसी
प्रकार परिवहन भत्ता इन तीन श्रेणी के शहरों के लिए क्रमश: 20 प्रतिशत, दस प्रतिशत और पांच प्रतिशत की दर से लागू
होगा.
उन्होंने बताया कि प्रथम और द्वितीय श्रेणी के
अखबारों के कर्मचारियों के लिए रात्रि पाली भत्ता प्रति दिन सौ रुपया, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए 75 रुपया और पांच से आठ श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए 50 रूपये देय होगा.
संवाद ऐजेंसियों के लिए प्रथम और द्वितीय श्रेणी
के लिए सौ रूपया और तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लिए 50 रूपया प्रति
रात्रि पाली की दर से भत्ता देय होगा. प्रथम चार श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों
के लिए एक हजार रूपये हार्डशीप भत्ता मिलेगा जबकि प्रथम दो श्रेणी के समाचार
एजेंसियों के कर्मचारियों को 500 रूपये हार्डशीप भत्ता देय
होगा.
इसी प्रकार प्रथम दो श्रेणी के
अखबारों एवं समाचार एजेंसियों के कर्मचारियों के लिए एक हजार रूपये चिकित्सा भत्ता
जबकि तीन और चार श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों को 500
रूपये चिकित्या भत्ता मिलेगा.
खड़गे ने कहा कि प्रस्तावों को
अधिसूचना के लिए आज ही कानून मंत्रालय को भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह
कोशिश करेंगे कि अधिसूचना जल्द से जल्द जारी हो.
समाचार पत्रों और संवाद समितियों के
पत्रकारों और गैर.पत्रकारों के वेतनमान में संशोधन के लिए मई 2007 में वेतनबोर्ड का गठन किया गया था. वेतनबोर्ड ने अपनी सिफारिशें पिछले साल
31 दिसंबर को सरकार को सौंप दी थी.
खड़गे ने एक सवाल के जबाव में कहा कि सरकार के फैसले
के लागू होने में कोई रूकावट नहीं है क्योंकि इस पर उच्चतम न्यायालय का कोई
स्थगनादेश नहीं है लेकिन उच्चतम न्यायलय का जो भी अंतिम निर्णय होगा वह दोनों
पक्षों पर लागू होगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति
की उम्र सीमा में बढोत्तरी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है, खड़गे
ने कहा कि जो भी सुझाव कानून के तहत सुझाए गए हैं उन्हें स्वीकार किया गया है
लेकिन कानून से इतर सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया गया है.
यहां मजिठिया बोर्ड ने जो सिफ़ारिश की थी ,उसे हम प्रकाशित
कर रहे हैं। यह अंग्रेजी में है और अभी हम इसका
अंग्रेजी वर्सन हीं दे रहे है आधे घंटे में हम हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित करेंगें ।वैसे गैर पत्रकार को बडे अखबार में बेसिक ९००० से १७५०० तथा
पत्रकार को बेसिक १३००० से २५००० रुपया मिलेगा
इसमें अन्य भत्ते शामिल नहीं हैं।
ट्रिब्यूनल की स्थापना का भी है प्रावधान । जो अखबार इस
अनुमोदन को लागू नहीं करेंगें, उनके खिलाफ़ ट्रिब्यूनल में केस दायर होगा
.
विस्तर्त रिपोर्ट आधे घंटे में देने का प्रयास हम कर रहे हैं .
Report of National Wage Boards for Working Journalists and other Newspaper Employees presented to the Government | ||
The Chairman National Wage Boards for Working Journalists and other Newspaper Employees, Justice G. R. Majithia and the members of the Wage Boards presented their final Report to Shri P. C. Chaturvedi Secretary Ministry of Labour& Employment in
The Report has classified newspaper establishments into eight categories, and news agencies into four categories based on gross revenues. Recommended pay scales have been classified into six categories for jobs in each class of establishment. Pay scales have been worked out by adding old basic pay and DA admissible up to June 2010 plus 30 Percent of interim relief. The revised pay would have a component of ‘variable’ pay at the rate of 35 percent for employees working in first top four classes of establishments and 20 percent for other four classes of establishments. The ‘variable’ pay will be added in the revised basic pay for calculation of all allowances. Effective date of implementation would be from 1st of July 2010.
The monthly emoluments for the lowest category of employee in the lowest class of establishment would work out to be Rs. 9000 for the basic pay at floor level minimum wage of Rs. 5000. The revised basic pay would however range from Rs. 9000 to Rs. 17500 for non-journalists and from Rs. 13000 to Rs. 25000 for working journalists in the top establishment having gross revenues of more than Rs. 1000 crores.
As far as social security measures are concerned possibility of granting paternity leave to male employees, retirement age of 65 years, and exploring pension scheme possibilities have been suggested going beyond the mandated wage structure revision.
The wage board has further recommended night shift allowance, hard ship allowance; transport allowance and House rent allowance for different class of establishments. It has recommended that a permanent mechanism in the form of a tribunal be set up to adjudicate on complaints regarding non-implementation or circumvention of the Award. Also Employers are to ensure that while engaging contractual workers they must atleast offer same salary for the same work which is performed by the regular employee.
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