महाराष्ट्र में रहनेवाले उतर भारतीय नेताओं को तमीज सिखने की जरुरत है
महाराष्ट्र में रहनेवाले उतर भारतीय नेताओं को तमीज सिखने की जरुरत है ।
भारत एक संघीय राष्ट्र है यानी यह राज्यों के संघ से बना हुआ है ्आलाळ्कि भारत की तुलना सोवियत संघ या चीन से नही की जा सकती , ये दोनो राष्ट्रों के संघ से बने हुये हैं। सोवियत संघ का तो विघटन हो गया , दुसरा चीन आंतरिक विद्रोह को झेल रहा है, आज या कल उसका भी विघटन होना स्वयंभावी है । भारत का संघीय ढांचा स्वंतंत्र रहे राष्ट्रों का समूह नही है , बल्कि प्रशासनिक दर्ष्टिकोण से समान संस्कर्ति , रीति रिवाज, भाषा को ध्यान में रखकर राज्यों का गठन हुआ है । हर राज्य बहुत हद तक स्वंय में एक स्वंतंत्र इकाई है । राज्यों का कर्तव्य है अपने निवासियों का कल्याण । उ्तर भारत या महाराष्ट्र के संदर्भ में सीधे शब्दों में कहें तो बिहार और यूपी के लोग रोजी रोजगार के लिये पूरे भारत भर में फ़ैले हुये हैं और उसका कारण है इन दोनो राज्यों का समुचित विकास न होना । महाराष्ट्र में निम्न स्तर के कामों में इनका वर्चस्व है । परिवार को अपने गांव छोडकर ये महाराष्ट्र में चले गयें , किसी तरह से एक छोटी सी जगह लेकर चार –छह जने रहने लगें परिवार साथ नही इसलिये खर्च भी कम । कम पैसे में भी काम करने लगें , व्यवसायियों को और क्या चाहिये , सस्ता श्रम मिल गया लेकिन यहीं से शुरुआत हुई विवाद की । किसी राज्य के सीमित संसाधन जब उस राज्य की जनता के लिये हीं काफ़ी न हों और दुसरा आकर उनके संसाधनो का बटवारा करे तो वहां के निवासियों को गुस्सा तो आयेगा। महाराष्ट्र के भी हालात यही है । भारत में कुछेक राज्यों को छोडकर कहीं भी किसी को बसने की आजादी हासिल है । बिहार-यूपी वाले महाराष्ट्र में अच्छी खासी आबादी के रुप में वहां बस गयें , घर मकान भी बना लिया यानी वे वाकई कानूनी रुप से महाराष्ट्र के हो गयें लेकिन अपनी मानसिकता , व्यवहार और रहन सहन में वे उतर भारतीय हीं बने रहें , बहुत कम महाराष्ट्र के बन सकें। इनके कारण महाराष्ट्र के लोगों का हक भी छिना गया । वहां के लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती गई । उतर भारतीय तो परिवार के साथ वहां गये नहीं थें , कम पैसे में काम करके पैसे जमा किया , फ़्लैट या चाल खरीदा फ़िर परिवार को बुला लिया । अधिकांश उतर भारतियों का दो निवास है , एक महाराष्ट्र में , दुसरा बिहार या यूपी मेंजबकि महाराष्ट्र वालों का एक हीं है , अपने राज्य महाराष्ट्र में । उतरभारतीय जब वहां बस गयें यानी घर मकान खरीद लिया तो इनका एक अच्छा खासा वोट बैंक हो गया । इनके अपने नेता पैदा हो गयें । इनके नेता भी दो जगह के नेता हैं , पूरे देश में ऐसा सिर्फ़ उतर भारतीय नेताओं के साथ है कि वे दो-दो , तीन-तीन राज्यों के नेता हैं। बिहार यूपी आ गये तो बिहारी या उतरप्रदेशीय और महाराष्ट्र में रहें तो महाराष्ट्रियण । महाराष्ट्र की जनता का हक तो उतर भारतीयों ने छिना है । जमीन से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्र में महाराष्ट्र की जनता को उ्तर भारतीयों के कारण परेशानी का सामना करना पड रहा है । एक बार मैं पूने में था । रात को आटो से घूम रहा था , दारु की दुकान तलाश रहा था । आटो ड्रायवर से मैने कहा , पूना के शैक्षिक संस्थानों में उतरभारतीय छात्रो के पढने के कारण पूने की अर्थ व्यवस्था तो विकसित हुई है , तुमलोगों की आमदनी बढी है । उस ड्रायवर का जवाब ने मेरे सोचने का नजरिया बदल दिया । उसने कहा सर बाहर के छात्रों के आने से पैसा तो आ रहा है लेकिन जमीन , मकान महंगे हो रहे हैं, बच्चों को डोनेशन देना पडता है , कालेज हमारे यहां है लेकिन बाहर के लडके ज्यादा डोनेशन देकर दाखिला लेते हैं उसका फ़ल हमें भी भुगतना पडता है । आमदनी बढी हुई दिखती जरुर है लेकिन खर्चे के हिसाब से आमदनी कम हुई है । यह आश्चर्य की बात थी । सीमित संसाधन जो महाराष्ट्र के निवासियों के लिये हीं पर्याप्त नहीं थें उसे भी उअतर भारतीयों ने बाट लिया , अब उतर भारतीय नेता वोट के लिये वहां राजनीति करते हैं , कटाक्ष करते हैं जिसका परिणाम होता है आपसी विवाद । उतर भारतीय एक नेता संजय निरुपम ने कहा कि अगर उतर भारतीय एक दिन काम बंद कर दें तो महाराष्ट्र रुक जायेगा । यह एक थर्ड क्लास की वाहियात बात थी । हो सकता है दो-चार दिन के लिये कुछ असर पडे , लेकिन जब महाराष्ट्र के लोग स्वंय वह सब करने लगें गे तो सबकुछ सामान्य हो जायेगा । निरुपम का यह कहना वहां के लोगों को भडकाने के अलावा कुछ नही है । उतर भारतीय नेता पहले यूपी –बिहार को विकसित करें , जब तुम दावा करते हो कि तुम सस्ता श्रम हो तो उसका उपयोग अपने यहां क्यों नहीं करते ? तुम सस्ता श्रम सिर्फ़ पूंजीपतियों की जेब भरने के लिये हो , सस्ता श्रम बनकर तुम खुद का शोषण तो कर हीं रहे हो , जिस राज्य में काम कर रहे हो वहां की जनता का भी शोषण तुम्हारे कारण हो रहा है । आज आसाम से भगाये जा रहे हो , कल महाराष्ट्र में भी वही हालात पैदा हो जायेंगें। बाहर के लोगों के कारण महाराष्ट्र के मूल निवासी अपने हीं राज्य में अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। इस तरह के हालात के कारण हीं नकस्लवाद से लेकर क्षेत्रीय आतंकवाद तक पैदा हो रहा है । महाराष्ट्र या किसी भी राज्य में बसो तो वहां का होकर , सिर्फ़ दोहन करने के लिये मत बसो । उतर भारतीय नेता अपने राज्यों का विकास करें । वोट के लिये क्षेत्रीयता का भावनात्मक मुद्दा न उठायें तमीज से बात करना सिखें।
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