प्रशांत भूषण की गिरफ़्तारी क्यों नहीं
बहादुर हैं इंदर वर्मा, तेजेंद्र पाल सिंह, विष्णु गुप्ता
आज प्रशांत भूषण द्वारा हेकडी दिखाने
पर उनके चेंबर में हीं तीन युवको ने उनकी मरम्मत कर दी। प्रशांत भूषण ने कूछ दिन पहले एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि अगर काश्मीर के लोग भारत के साथ नहीं रहना चाहते तो वहां जनमत संग्रह कराकर उसे अलग कर दिया जाय । प्रशांत ने जो कहा था यही बात पाकिस्तान कहता आ रहा है । प्रशांत को कश्मीर की स्थिति का ग्यान नही है । जब संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मामला गया था तो वहां
यह प्रस्ताव पास हुआ था कि पहले पाकिस्तान कश्मीर से अपनी सेना हटाये , उसके बाद वहां जनमत संग्रह कराया जाय। उस वक्त जो हालात थें उसके अनुसार कश्मीर की जनता भारत के पक्ष में थी , इसी कारण से पाकिस्तान ने कश्मीर से सेना नही हटाई । अब जब आतंकवाद बढा हुआ है तो कश्मीर में भी संप्रदायिक स्तर पर लोग बटे हुये हैं ऐसी स्थिति में सबको पता है जनमत संग्रह का हश्र क्या होगा । प्रशांत ने जो बयान दिया था वह एक भारत विरोधी व्यक्ति हीं दे सकता है । आज तीनो युवक प्रशांत से उसके दिये गये बयान के बारे में चर्चा करने गये थें लेकिन वहां उपस्थित प्रशांत के चमचो ने युवको से बदतमिजी की , प्रशांत भी अपने को सबसे उपर समझता है , उसने भी गलत जबान निकाली , परिणाम सामने था गुस्साये लडको ने उसकी जमकर पिताई कर दी। प्रशांत ने भी जवाब में उन लडकों को मारा लेकिन पुलिस ने सिर्फ़ लडकों को गिरफ़्तार किया प्रशांत को नही । यह गलत हुआ है , प्रशांत की भी गिरफ़्तारी होनी चाहिये । और उसके उपर देशद्रोह का मुकदमा भी। बिहार मीडिया इन बहादुर युवकों को सलाम करता है और संपादक के हैसियत से मैं अधिवक्ता होने के कारण उन युवको का मुकदमा मुफ़्त में लडने की पेशकश कर रहा हूं। मैने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से बात की । दिल्ली पुलिस दरी हुई है या दबाव में हैं । हिम्मत नही हो रही थी अधिकारियों को खुलकर बताने की आखिर वे लडके कहां हैं। तिलक नगर थाने में यह केस है । यह भी पता लगाने में एक घंटा से ज्यादा लग गया । दिल्ली पुलिस जिंदगी भर आतंकियों से नही लड सकती है । जब दिल्ली की घटना का पता नही है बाकी भगवान जानें। खैर तिलक नगर थाने के फ़ोन न० ०११- 23385571 पर बात करने के बात केस के आई ओ का नंबर मिला ०९८६८४९९८५९ आई ओ का नाम था रामजी लाल , लेकिन वह भी कुछ बताने में हिचक रहा था , थाने के इंचार्ज से उसके फ़ोन पर बात हुई , उसका न० था ०९९५८८५६६६८ , वह भी राजनीतिक दबाव में था। लडका घायल था , मैने कहा उसका इलाज कराओ और प्रशांत पर भी मुकदमा करो क्योंकि प्रशांत ने भी मारपीट की है । आप भी इन बहादुरों का हौसला बढायें। इनका एक वेबसाइट भी है । www.bhagatsinghkrantisena.blogspot.com
यहां हम वह वीडियो दे रहे हैं जिसको देखने के बाद आपको पता चलेगा कि प्रशांत ने भी बाद में उन बहादुर लडके पर हाथ उठाया था जिसने उसकी पिटाई की थी ।
वैसे मेरी समझ में यह नहीं आता कि कश्मीर मुद्दे पर इसमें इतना गलत क्या है? सम्भव है मुझे कश्मीर वाला मुद्दा ठीक से पता न हो…
ReplyDeleteबहुत कम लोगों को कश्मीर का मुद्दा पता है और यही कारण है कि कभी अरुंधती और कभी प्रशांत जैसा आदमी इस तरह का बयान देता है । कश्मीर मुद्दे को समझने के लिये हिंदुस्तान की आजादी को समझना जरुरी है । इंग्लैंद में पास एक कानून के तहत भारत और पाइक्स्तान को आजादी दी गई थी लेकिन दोनो को कोई क्षेत्र नही मिला था बल्कि अंग्रेजों ने कहा था कि हम जिस हालत में भारत पर अपना शासन स्थापित किये थें उसी रुप में इसे आजाद कर रहे हैं , भारत के रजवाडो की इच्छा जिस देश के साथ विलय करने की होगी कर सकते हैं । कश्मीर के राजा हरि सिंह ने पहले स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई लेकिन पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद वे विलय करने को तैयार हुये । पाकिस्तानी सेना का मुकाबला पहले शेख अब्दुल्ला के लडाको ने किया बाद में सेना वहां पहुची । मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में गया और वहां यह प्रस्ताव पास हुआ कि पाकिस्तान अपने कब्जेवाले भूभाग से सेना हटाए उसके बाद जनमत संग्रह हो, उस समय कश्मीर का आवाम भारत के पक्ष में था , पाकिस्तान ने सेना नहि हटाई , जनमत संग्रह नही हुआ । अब जब कश्मीर संप्रदायिक रुप से विभाजित है तब जनमत संग्रह की बात कहां उठती है ।
ReplyDeleteअधिकांश बातें सुनी थीं। जनमत वाली बात पता न थी। वैसे संयुक्त राष्ट्र जैसे किसी अन्तरराष्ट्रीय संगठन से मुझे तो किसी तरह की उम्मीद नहीं है। ये सारे अमेरिका भक्त संगठन हैं और कहने को अन्तरराष्ट्रीय और शान्ति के संस्थापक या इच्छुक…झूठे…
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