अन्ना खुद में सुधार लायें
अन्ना मौन व्रत पर बैठे हैं , और लिखकर बात भी कर रहे हैं। अपने ब्लाग पर भी लिख रहे हैं । प्रशांत भुषण ने पाकिस्तान के बारे में जो बयान दिया , उसके जवाब में अन्ना ने अपने ब्लाग पर लिखा कि आज भी वे पाकिस्तान से युद्ध के लिये तैयार हैं। ऐसा बयान एक गांधीवादी नही दे सकता है । मैं यहां अन्ना के ब्लाग पर जो उन्होने लिखा है , वह तथा मैने उन्हें उनके ब्लाग के माध्यम से जो लिखा है वह प्रकाशित कर रहा हूं।
अन्ना की पोस्टिंग
मेरा पत्र अन्ना के नाम
अन्ना की पोस्टिंग
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Posted on October 18, 2011 by annahazaresays
Ralegan Siddhi
18th October 2011
18th October 2011
My Dear Sisters and Brothers,
Namaskar!
Namaskar!
Some people talk incoherent things about Kashmir related issues but they are unaware of the fact that when I was in the army I had taken active part in India-Pakistan war as a soldier. All my colleagues attained martyrdom on the border during the war with Pakistan. But I miraculously survived.
It was then I pledged the rest of my life in the service of my country.
Even today you can see the marks on my forehead left behind by Pakistan’s bullet. This is my active conviction that Kashmir is an integral part of India and will remain so. Today once again if I have to, am ready to take part in war against Pakistan. But some people can only speak and don’t do anything on ground (in reality for Kashmir) and this is unfortunate.
K. B. Hazare (Anna)
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Posted on October 18, 2011 by annahazaresays
राळेगणसिद्धी,
१८ ऑक्टोबर २०११.
१८ ऑक्टोबर २०११.
माझ्या भगिनींनो आणि बांधवांनो ,
नमस्कार.
काश्मीर संबंधाने काहीं लोक उलट सुलट चर्चा करतात. मात्र त्यांना माहित नाही की मी सैन्यामध्ये असताना भारत-पाकिस्तानच्या युद्धामध्ये भाग घेतला होता. सीमेवर पाकिस्तानच्या हमल्यामध्ये माझे सर्व-सर्व सहकारी शहीद झाले. मात्र मी वाचलो.
त्याच वेळी मी निर्णय घेतला होता की आता उर्वरित आयुष्य देशाच्या आणि देशातील जनतेच्या सेवेसाठीच अर्पण करायचे.
आजहीं मी पाकिस्तानच्या गोळीचे निशाण माझ्या कपाळावर वागवतो आहे. म्हणूनच माझी धारणा आहे की काश्मीर हे भारताचे अंग आहे आणि अंगच राहणार. त्यासाठी पुन्हा एकदा पाकिस्तानशी लढावं लागलं तरी मी तयारी ठेवीन. मात्र काहीं लोकांना फक्त बोलता येते, जमिनीवर (प्रत्यक्षात) करता येत नाही हीं दुर्दैवी बाब आहे.
अन्ना जी मुझे नही पता कि यह आपका हीं ब्लाग है या किसी और ने आपके नाम से बना लिया है । इंटरनेट की दुनिया में यह आम बात है । आपके नाम के सैकडो ब्लाग बना हुआ है । खैर सबसे पहले तो यह कहना चाहता हूं कि आपके ब्लाग पर अंग्रेजी और मराठी का उपयोग हो रहा है लेकिन हिंदी गायब है । अब आपके इस बात पर आता हूं कि अभी भी मौका मिलने पर आप पाकिस्तान के खिलाफ़ लडने के लिये तैयार हैं। यह एक अंहिंसावादी नही बोल सकता । गांधीवाद को आपने सिर्फ़ टोपी तक सीमित रखा है । गांधी की विचारधारा एक सामान्य आदमी भी समझ सकता है । शायद आपने गांधी की आत्म कथा नही पढी है अगर पढी है तो उसे आत्मसात नही कर पायें। युद्ध में मरनेवाला सेना का जवान किसी का बेटा , भाई, पति या बाप होता है , चाहे वह भारत का हो या पाकिस्तान का । मैं युद्ध को राजनीतिकों के फ़ायदे के लिये अपने हीं देश वासियों का खुन बहानेवाला अपराध मानता हूं। भारत -पाकिस्तान के बीच ऐसी कुछ बात हीं नहीं है जिसके लिये युद्ध हो , यह तो दोनो देश के राजनीतिक दल और नेता चाहते हैं विवाद बना रहे । आज अगर दोनो देश की शांतिप्रिय जनता को एक साथ बैठा दिया जाय तो सभी समस्या का हल निकल आयेगा लेकिन जनता का प्रतिनिधित्व केजरीवाल , प्रशांत , अरुंधती या कुलदीप नैयर जैसे लोग न करें। ये अलग किस्म का वर्ग है । आप सोशलाईट शब्द से परिचित हैं या नही मुझे नही पता। ये सारे लोग सोशलाईट हैं। यह एक अलग तबका है । डिजानयर ड्रेस पहनना , मुहं से आदर्श बखारना लेकिन अंदa से लाईमलाईट में बने रहने की चाह , यही है इनकी पहचान । अब आपके मौन व्रत पर आता हूं। जैसा मुझे पता है , मौन के दरम्यान आप लिखकर संवाद यानी बातचीत करते हैं सिर्फ़ जबaान से कुछ नहीं बोलते यानी चुप्प रहते हैं । अन्ना जी यह मौन व्रत नही है । इसे मौन व्रत मानने का मतलब है गुंगे व्यक्ति को सबसे बडा मौन व्रती मानना । मौन व्रत स्वंय की शुद्धि और आत्म अवलोन के लिये होता है । इसकी पहली शर्त है सुनना बंद करना । इसके लिये कान में रुई लगा सकते है । उसके बाद सोचना बंद करना । कुछ भी न सोचे , कठीन है यह लेकिन प्रयास करें। विचार बार -बार दिमाग में उत्प्पन होंगें। प्रयास करने से दो-तीन दिन में आप विचारों से मुक्ति पा लेंगें। आप देखें अपeे aससस , प्रकर्ति को, जीवों को । अनुभव कें लेकिन उस अनुभव को शब्द का आकार न लेने दें। एक बात और मैं आपका विरोधी हूं। आपको गांधीवादी नही मानता । लेकिन आप अगर सत्य को अपनायें , अपनी गलतियों को स्वीकार करे , जिवन में जो भूल हुई हो उसे लोगों को बतायें , उसके लिये प्रायश्चित करें , देश के लोगों का आप के उपर विश्वास है , उसे बनाये रखें । अपनी जिंदगी में मैने पहली बार लोगों को एक आदमी का इतना सम्मान करते भारत में देखा है । आप अपनी जिंदगी के उन पहलुओं को भी उजागर करें । सेना की नौकरी में जाने के पहले आप क्या करते थें। आपका बचपन कहां गुजरा । हमारे जैसे लोगों के पास जो सूचना उपलब्ध है उसके अनुसार आपका परिवार रालेगांव सिद्धि में जब आ गया तो आप बंबई पढने के लिये गयें, वहां पढ नहीं पाये शायद गरीबी के कारण , आपने वहां फ़ूल बेचना शुरु किया , उसके बाद फ़ुलों की दो दुकान खोली , आपके साथ महल्ले के कुछ लडकों का ग्रुप था और आप उनके साथ मुह्ल्ले में दादागिरी यानी मारपीट भी करते थें। इस तरह की और भी बातें सामने आ रही है । आप स्वंय सबकुछ बतायें। एक और प्रार्थना हैं मैं किसी दल या विचार से नहीं जुडा हुआ हूं। मानवता को अपना विचार मानता हूं। राजनीति और राजनेता चाहें वे किसी भी दल के हों , भ्रष्ट हैं। लोकपाल से भ्रष्टाचार में रतीभर फ़र्क नही आयेगा । एक नई संस्था भर होगा लोकपाल जो भ्रष्ट संस्थाओं की एक नई कडी होगा , इसलिये मुझे आपके लोकपाल से या सरकार के लोकपाल से कोई लगाव नही है दुनिया के पचासो मुल्क में है लोकपाल । आपको जनसमर्थन भी लोकपाल के लिये भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मिला था । वह जनता का अक्रोश था जो जनसमर्थन के रुप में आपके पक्ष में दिखा। खैर फ़िर कभी चर्चा होगी .
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टिपण्णी के लिये धन्यवाद