नकली गांधीवादी की गुंडागर्दी
मैने पहले लिखा था कि अन्ना पैदा होते सेना की नौकरी में नहीं चले गयें , सेना में जाने के पहले के अपने जिवन के बारे में अन्ना नहीं बताते हैं। असली गांधीवादी होतें तो अपने अतीत को चाहे वह लाख काला होता, जरुर बताते , छुपाते नहीं । अन्ना अपनी चाची के यहां मुम्बई पढने के लिये गये थें , पढ तो पायें नहीं , फ़ूल बेचने का काम शुरु कर दिया । बाद में दो दुकान भी फ़ूलों की खोल ली। उसके बाद अन्ना मुहल्ले के दादा बन गयें , यह है सेना में नौकरी करने के पहले की अन्ना की जिंदगी । आज तक अन्ना के अंदर वह दादागिरी वाला तत्व मौजूद है। गांवों में भी शराबबंदी गांधी तरीके से नही करवाई , बल्कि मारपीट करके शराब बंद करवाया । हालांकि सच यह है कि रालेगांव सिद्धि के निवासी अब भी शराब पीते हैं। इस सच को बिके हुये अखबार और न्यूज चैनल नहीं बतलाते हैं। ये बिकी हुये समाचार पत्र और न्यूज चैनल तो यह भी नहीं बताते हैं कि अन्ना के अपने हीं मित्रों ने उनके उपर क्या-क्या इल्जाम लगाये हैं। अन्ना ने अपने शुरुआती अनशनों में ग्लुकोज और एलेक्ट्राल का उपयोग किया था। दिल्ली वाले अनशन में किया था या नहीं यह सिर्फ़ डाक्टर बता सकते हैं। अब अन्ना का असली चेहरा सामने आने लगा है । चाहकर भी बिके हुई मीडिया के लोग सच को दबा नहीं सकतें। अन्ना का आर एस एस से संबंध हैं , इसका खुलासा अन्ना की कांग्रेस को हराने की घोषणा से हो गया । आर एस एस के भागवत ने भी माना कि अन्ना के आंदोलन को आर एस एस की मदद हासिल थी. अन्ना के उपर अहंकारी होने का अभियोग भी उनके सहयोगियों ने लगाया था , अब वह भी सच साबित हो रहा है । अन्ना के द्वारा यह कहना कि जबतक जनलोकपाल बिल पास नहीं हो जाता , वे कांग्रेस को हर चुनाव में हरायेंगें। अन्ना पागल हो गयें हैं। देश उनके बाप का गुलाम नहीं है । दस हजार की भीड को लाख बताकर चुनाकर नही जिता जा सकता है। हिसार का चुनाव वस्तुत: कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि वह सीट भजन लाल की मर्त्यु से खाली हुई है और उस सीट पर भजन लाल के पुत्र कुलदीप
बिश्नोई चुनाव लद रहे हैं । बिश्नोई हरियाणा जनहित कांग्रेस के उम्मीदवार हैं , यह दल एन डी ए गठबंधन में ताजा ताजा शामिल हुआ है । आनेवाले समय में गठबंधन बना रहे इसके लिये जरुरी है कि बिश्नोई चुनाव में जितें । हिसार हालांकि भजन लाल की परंपरागत सीट रही है लेकिन विगत चुनाव में भजन लाल मात्र ६, ९०० मतों से हीं इस सीट पर विजयी हुये थें। अन्ना की पूरी टीम एक डी ए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिये यहां जमी हुई है । इस सीट से कांग्रेस की हार जीत कोई खास मायने नहीं रखती लेकिन अगर कांग्रेस हारती है तो अन्ना और बिका हुआ मीडिया यह प्रचारित करेगा कि अन्ना के कारण हार हुई जबकि सच यह है कि २००९ के लोकसभा चुनाव में हरियाणा कि दस में से नौ सीट जितनेवाली कांग्रेस यहां से हार गई थी। हां अगर यहां के लोगों ने अन्ना की टीम का ड्रामा समझ लिया और कांग्रेस को मतदान कर दिया तो अन्ना की टीम को मुंह दिखाने की जगह नही मिलेगी। हालांकि उसके बाद भी अन्ना की टीम यही कहेगी कि चुनाव में धांधली हुई है । अन्ना जैसे ्लोग देश का अहित हीं कर सकते हैं। जब जब २जी घोटाले में कुछ नया मोड आता है अन्ना अपना पुराना सडा गला जनलोकपाल बिल का ड्रामा करना शुरु कर देते हैं। अन्ना मात्र एक चेहरा हैं , नाम के भूखें , उनका उपयोग अर्विंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया नामक शख्स कर रहें हैं । अरविंद की तुलना अमर सिंह से की जा सकती है , बडबोलापन। यहां क्लिक करें उनके बारें में जानने के लिये
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