यूपी चुनाव : छोटा गुंडा जायेगा, बडा गुंडा आयेगा

यूपी चुनाव : छोटा गुंडा जायेगा, बडा गुंडा आयेगा
टीवी चैनल जो एक्जिट पोल दिखा रहे हैं , उसके अनुसार मायावती अकेले दम पर सता में नहीं आने जा रही हैं । समाजवादी पार्टी सबसे बडी पार्टी के रुप में उभर कर आने जा रही है । हालांकि वोटों के बढे प्रतिशत ने एक सवाल खडा कर दिया है , किसके पक्ष में ईतना उत्साहित होकर मतदाताओं ने चुनाव में भाग लिया । जब एकसाथ सभी लोग हुंआहुआं बोलने लगें तो उनसे अलग आवाज निकालना थोडा कठिन होता है । जो समीकरण हैं, उसके हिसाब से यादव , राजपूत और मुसलमान मतों का एक अच्छाखासा हिस्सा समाजवादी पार्टी को मिला है । बसपा को दलित , मुसलमान , ब्राह्मण का कुछ प्रतिशत मत मिला है । कहीं कहीं पर राजपूत मतदाताओं ने अमर सिंह की भी लाज रखी है , ब्राह्मण मत भाजपा और कांग्रेस में भी बटे हैं ।बाकी बनिया, कायस्थ मत भाजपा को गये हैं लेकिन उनका प्रतिशत नगण्य है । कुर्मी भी पूरे यूपी में नहीं हैं , उनका मत कांग्रेस को गया है । अगर सपा और बसपा की बात करें  तो  जातिगत आधार पर दोनो को मिले मतो में बहुत अंतर नही है । लेकिन यह सच है कि बसपा से ज्यादा मत सपा को मिले हैं । सपा का दारोमदार मुस्लिम मतों पर टिका है । पीस पार्टी एक नये दल के रुप में उभरी है जिसकी शैली बसपा की तरह है । जहां जहां पीस पार्टी ने हिंदू  उम्मीदवार खडे किये हैं, वहां वहां सभी दलो का समीकरण गडबड  हो गया है  । खासकर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में । पीस पार्टी को मिले मत निर्णायक होंगें। सपा को अकेले १५० से ज्यादा सीट आना आश्चर्यजनक होगा । बसपा के द्वारा दिये गये उम्मीदवारों की सूची देखने के बाद यह नही लगता कि वह १०० से कम सीट लायेगी । सपा और बसपा को मिलाकर २५०-२७५ सीटे हटा दें तो बाकी बचती है १२७-१५२ सीट । छोटे दल जिनमें से एक पीस पार्टी भी है, उन्हें २५ सीट तक मिलने की संभावना है । अब बचती हैं , १०२-१२७ सीट । भाजपा और कांग्रेस के बीच इन्हीं बची सीटों की लडाई है ।
अभीतक लालबूझकड टीवी चैनलों ने जो एक्जिट पोल के नतीजे दिखायें हैं , उसके लिये यूपी विधानसभा की सीटों को बढाना तथा चुनाव की बजाय टीवी चैनलों वालों की राय से उन बढी सीटों पर सदस्यों का चयन हीं एकमात्र रास्ता दिखता है जिससे एक्जिट पोल के नतीजे सही साबित हो सकें।

खैर हम पहले यह बता दें कि वैसे मतदाताओं ने जिन्होनें बसपा को पूर्व के चुनाव में मत दिया था , उन्होनें नाराजगीवश अगर इसबार बसपा को मत नही दिया है तो सपा को भी नही दिया है । बसपा के राज में गुंडागर्दी बढी थी, पुलिसिया जुल्म जैसा मुलायम के शासनकाल में था , उसपर कोई लगाम मायावती ने नही लगाई । बसपा के टिकट पर विधायक बनें गैर दलित विधायकों ने गुंडागर्दी की लेकिन मुलायल के शासनकाल में यादव जाति के गुंडे तत्वों ने जो कहर ढाया था उससे इसका मुकाबला नही किया जा सकता है । मुलायम ने भी अपने राज में हुई गुंडागर्दी के लिये कभी माफ़ी नही मांगी । अगर मुलायम सता में आते हैं तो कोई बदलाव नही आनेवाला , हाम दलितों पर अत्याचार बढेगा । जो लोग यूपी के उन गांवों में रहते हैं , जहां दलित और यादव दोनो की आबादी है, उन्हें पता होगा किसके शासन में क्या हुआ और मुलायम के आने के बाद क्या होगा । रह गई समाजवाद की  बात तो अब पुत्रवाद का जमाना है , कभी रहे होंगें मुलायम समाजवादी आज वे विशुद्ध पुत्रवादी हैं। मुलायम की गुंडागर्दी का मैं खुद भुक्तभोगी हूं । गोरखपुर में मेरे मामा डाक्टर थें, उनके  सरकारी आवास से सामान बाहर फ़िकवाकर एक विधायक ने कब्जा जमा लिया था , यह घटना ठिक गोलघर चौराहे की है जहां से मात्र दस कदम पर कोतवाली थाना है । फ़िर हमलोग भी जूटे और ताला तोडकर कब्जा हटाया था । मुलायम का शासन आने का अर्थ है गुंडो का शासन ।

एक और संभावना अभी बरकरार है , अगर बसपा को १२५ या ज्यादा सीट आ गई तो भाजपा तथा अन्य के साथ मिलकर फ़िर से वह सरकार बनायेगी । खैर छह मार्च को सब सामने आ जायेगा । वैसे यूपी के चुनाव ने इतना तो साबित कर दिया , इस देश की जनता अपनी बदहाली के लिये खुद जिम्मेवार  है ।


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