फेसबुकिया विदुषी , प्रगतिशील साम्यवादी एंव हिंदुवादियो को समर्पित ::। मस्तराम बनाम चेतन भगत बनाम फेसबुकिया विद्वान :एक सच्ची कहानी :: विवाहेतर संबंध ,

विद्वता के लिए एक चश्मा, खुरदुरी छोटे छोटे बाल वाली दाढ़ी और जे एन यू का टैग । बस आप बन गए फेसबुकिया विद्वान् । उम्र चाहे कुछ भी हो । मैं इस तरह के पोस्ट नहीं करता हूँ परन्तु फेसबुक की एक महिला ने चेतन भगत की सफलता का उदाहरण देते हुए हिंदी साहित्यकारों द्वारा अपनी पुस्तको की बिक्री न होने के लिए बहाने बनाने की आदत पर बहुत ही अच्छा सारगर्भित पोस्ट किया था उक्त पोस्ट पर एक फेसबुकिया विद्वान् टपक पड़े और यह टिपण्णी /कमेन्ट किया

""" Akshat  seth ::  माफ़ कीजिये पर चेतन भगत समय की मांग हैं। ये बात सही है कि उन्होंने पाठक वर्ग में नयी ज़मीन तोड़ी है- पर ऐसा मस्तराम और वेद प्रकाश शर्मा भी पहले कर चुके हैं। अंतर बस ये हैं कि श्रीमान भगत सभ्यता की पतली सी चादर अपनी लेखनी को उड़ाकर रखतेहैं व नतीजतन आप बैठक में खुलकर यह कह सकते हैं कि आप चेतन भगत पढ़ते हैं। इस पतली सी चादर के नीचे एक बाज़ारवाद और पूंजीवाद का समर्थक मस्तराम बैठा है जो लड़की को चीज़ से ज़्यादा कुछ नहीं समझता है

Akshat  seth :: Saket bhai, Mujhe Mastram se koi dqqat nahi hai. In fact I love him for being upfront about what he is. Yeah, maybe the analogy was wrong. Comparing mastram with CB demeans the former.
As for CB- he is a businessman alright and I have no problem with businessmen behaving like businessmen but when they start behaving like preachers, they need to be trolled, abused and disgraced"".
  
जे एन यू के टैग वाले ये akshat seth को मस्तराम की लेखनी से कोई समस्या नहीं है बल्कि ये उसके लेखन को पसंद करते हैं
"""Akshat  seth :: Saket bhai, Mujhe Mastram se koi dqqat nahi hai. In fact I love him ""
अगर ये बन्धु सामने होते तो मात्र एक ही प्रश्न करता " आपको अपनी माँ के साथ संभोग पसंद है या चाची , मौसी बुआ के साथ । in fact vagina is same of every woman so what problem to cohabit with restricted relations ?  ""

खैर नीचे एक सच्ची कहानी है जिसे तिन भाग में पोस्ट करूंगा और तीनो भाग पढने के बाद मस्तराम ,वेद प्रकाश शर्मा तथा चेतन भगत का अंतर पता चल जाएगा ।
दुखद यह है कि उक्त सार गर्भित पोस्ट करने वाली महिला ने भी Akshat  seth के मस्तराम की लेखनी को पसंद करने वाले अंग्रेजी के कमेन्ट को लायक किया है

कहानी ::: Come on plz .

और उसकी शादी एक इंजिनियर के साथ तय हो गई । अपने माँ बाप की दुलारी सबसे छोटी बेटी । तीखे नैन नक्श , ठीक बाप के उपर गई थी । गाँव के जमींदार परिवार की बेटी । सैकड़ो बीघे की खेती , नौकर चाकर । दो भाई और चार बहनों में सबसे तीखे स्वभाव की । स्वभाव ऐसा जैसे सेक्स की नजर से देखने वालो को कच्चा चबा जाए। एकदम हड़काने वाला ।
कोई हिम्मत नहीं कर सकता था फब्ती कसने या छेड़खानी करने की ।

पिता दो भाई । पिता को ससुराल की जमीन भी हासिल  हुई थी ,  माँ एकमात्र सन्तान थी अपने माँ बाप की , काला रंग कोई सेक्स अपील नहीं । बाप उसके एकदम विपरीत गोरा चिट्टा देवपुत्र की तरह रंगरूप , शरीर, कद काठी ।

गाँव में जमीदार के रुतबे लायक हवेलीनुमा घर । शहर में दो घर । एक अर्धनिर्मित , दूसरा गली में । परिवार संयुक्त । चाचा स्वास्थ विभाग में नौकरी करते थे । दिलफेक रसिक मिजाज थे ,नर्सो से ताल्लुकात जबकि स्वंय की बीबी गोरी , मस्त भरे हुए उरोज, चिकने गोर लाल गाल वाली, परन्तु जब आदत होटल में खाने की हो तो कौन कमबख्त रोज रोज एक ही खाना घर में खाए ।

पूरब से पश्च्जिम सड़क जाती थी उसी के दाहिनी तरफ एक गली थी । गली में तिन मकान के बाद दाहिने हाथ की तरफ एक और गली गई थी उसके कोने पर पुराना घर जहां वह रहती थी पढने के लिए,  उम्र बमुश्किल 16-18 वर्ष ।

सीधे वाली गली में उसके घर के सामने गली के दूसरी तरफ एक मकान के बाद दुसरे मकान में एक  मुस्लिम परिवार किराए पर रहता था जहां एक लड़का था गोरा रंग खुबसूरत शक्ल ।

मुहल्ले के लड़को का प्रिय शगल था जवान लडकियों की चर्चा करना और वह हमेशा चर्चा के केंद्र में रहती थी । तकरीबन रोजाना शाम को मोहल्ले के लडके इकट्टे होते थे अगर कोइ नहीं आया तो घर से जाकर बुलाया । उस मुस्लिम लड़के का नाम हम चुन्ना  रख लेते है और उस लड़की यानी इस कहानी की नायिका का नाम रेणुका रख लेते है । दोनों नाम असली नाम से  मिलते जुलते है ।

जब दो दिन शाम की बैठकी में चुन्ना नहीं आया और न ही घर के बाहर ही दिखा  तब तीसरे दिन चार लडके उसके घर पहुँच गए । दरवाजा उसी ने खोला । सर पे गमछा लपेटे हुए देखकर आश्चर्य हुआ । लड़को ने कारण पुछा तो उसने बताना नहीं चाहा तभी एक ने गमछा खीच लिया । सिर देखकर सब अवाक रह गए ।

बेतरतीब तरीके से उसके बाल कटे हुए थे जैसे किसी ने कपड़ा काटने वाली  कैची से काट डाले हो । उसके और रेणुका के दरम्यान कुछ पक रहा था इसका अहसास बहुत हद तक मित्र मंडली को भी था ।

सब अब जोर देकर पूछने लगे । वह सबको साथ लेकर छत पर गया । वहाँ जो कुछ उसने बताया वह अचंभित करने वाला सच था ।

दो  दिन पहले रात को बारह बजे के करीब रेणुका ने उसे बुलाया था । दोनों के बीच प्रेम पत्र का सिलसिला पहले से चला आ रहा था ।

अमूमन रात के दस बजे के बाद जाड़े में गली में सन्नाटा पसर जाता था । सब अपने अपने घरो में रजाई के अंदर दुबक कर सो जाते थे ।

जब वह अपने घर से ठीक बारह बजे निकला तो देखा अपनी मुडेर से छुपकर रेणुका उसे देख रही थी ।  वह रेणुका के दरवाजे पर पहुचा तो पाया की  दरवाजा अंदर से बंद नहीं था । जैसे ही दरवाजे को ठेला अंदर से किसी ने खोल दिया और उसके घुसते ही दरवाजे की कुंडी धीरे से चढ़ा दी । उसके कान के पास मुह ले जाकर बोली चाचा अपने रूम में सोये हुए है । धीरे धीरे सीढी पर चढ़ना , आवाज न हो ।

दोनों दबे पाँव रेणुका के बिस्तर पर पहुचे । रेणुका बल्ब जलाकर सोती थी ।

चुन्ना के लिए किसी लड़की के साथ रात के अंधियारे में उसके कमरे में सेक्स के लिए मिलने का  भी यह पहला अवसर था । वह पलंग पर बैठा ही था की रेणुका ने उसे रजाई के अंदर खीच लिया । वह भी उतेजित हो चुका था उसका यौनांग अपने उफान पर था । चुन्ना ने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी ।

रेणुका और चुन्ना  लिपट गए । उसने किस लेना शुरू किया परन्तु रेणुका शायद बहुत ही ज्यादा कामोतेजित थी उसने उसकी लुंगी खोल डाली ।

रेणुका ने  मात्र घुटने तक का फ्राक पहना था ।

चुन्ना ने फ्राक को जांघो से ऊपर उठाने के लिए रेणुका की जांघ पर हाथ रखा फ्राक को  जैसे ही ऊपर उठाते हुए जांघ से उपर हाथ किया तो मारे ख़ुशी और सेक्स उतेजना से भर गया । रेणुका ने  फ्राक के निचे कुछ भी नहीं पहना था । चुन्नू की उंगलिया रेणुका के यौनांग को सहला रही थी , कभी वह उसके यौनांग को  मुठ्ठी में  भीच लेता, तो कभी आहिस्ता से अपनी हथेली उसके ऊपर रखकर  गर्म यौनांग की गर्मी को समेटने का प्रयास करता  तो  कभी एक  ऊँगली उसके अंदर घुसाता ।

रेणुका बहुत ही ज्यादा उतेजना में थी ।उसके यौनांग से पानी निकल रहा था और उसका यौनांग गिला हो चुका था । वह यौनांग में दों अंगुली करने लगा तभी रेणुका ने कहा जल्दी करो चाचा उठ न जाए । वह उसके ऊपर आ गया ।

रेणुका ने पाँव फैला दिए । अपने यौनांग को उसने रेणुका के यौनांग के मुहाने पर पर रख कर हल्का दबाव दिया वह सिसकारी मारते हुए बोली दर्द हो रहा है ।

थोड़ा बर्दाश्त करो उसने कहा फिर उसके गिले यौनांग के छिद्र पर अपने जनांग को टिकाते हुए ,  दबाव बनाते हुए एक जोरदार धक्का दिया ।

और वह उसके अंदर था । रेणुका ने  अब अपना फ्राक निकाल दिया था ।

उसने उसके दोनों छोटे छोटे वक्ष को मुह में लाकर दांत गडा दिए ।

उसने उसे रोका और कान में कहा धक्का मारो ना ।

उसकी धक्का मारने की स्पीड बढ़ गई । रजाई ढलक कर बगल में गिर गई थी।

अभी बमुश्किल चार पांच जोरदार धक्के मारे होंगे तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुल गया ।
सेक्स का लुत्फ़ पहली बार उठाने की हड़बड़ी । छुपकर जल्दी जल्दी कामेच्छा शांत करने की हड़बड़ी में रेणुका ने कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया था और न ही बती बुझाई थी।

दरवाजे पर उसके चाचा खड़े थे । आग बगुला जैसे चुन्ना को कच्चा चबा जायेंगे ।
चुन्ना हड़बड़ी में पलंग से नंगे ही उतरा और अपनी लुंगी उठाकर लपेट ली ।

यह क्या हो रहा है ?

जी जी मै प्यार करता हूँ ।

चाचा गुस्से में लाल । साला मियाँ काटकर रख देंगे ।
गुस्सा भले सातवे आसमान पर हो आवाज धीमी ही थी शायद आसपास के कारण ।

घर की इज्जत का सवाल जो था । रेणुका रजाई ने खीचकर उसके अंदर मुह छुपा लिया ।
चाचा ने चुन्ना के पास आकर उसके बाल को मुठ्ठी में पकड़कर उसे झकझोर दिया । उसे कमरे की की फर्श पर गिरा कर लातो से  उसके सींने, पेट , पीठ पर मारना शुरू कर दिया ।

वह पाँव पकड़कर गिडगिडाने की कोशीश करता तो वह उसे पाँव से झटक देते ।
तभी ताखे पर कपडे काटने की कैंची नजर आई ।
चाचा ने उसे उठाकर दिखाते हुए कहा घोप दे मादरचोद मियाँ ।

अब तो चुन्ना को मौत का भय सताने लगा ।

वह गिडगिडाने लगा तो चाचा ने एक हाथ की मुट्ठी में उसका बाल पकड़कर उठाया और जबतक वह कुछ समझ पाता कैंची बालो पर चल चुकी थी ।

वह फिर गिड़गिड़ाया लेकिन चाचा ने धमाकते हुए एक शब्द भी नहीं निकालने की धमकी दी ।
इस प्रकार उसके बालो को बेतरतीब काटने के बाद उसे चेतावनी देते हुए छोड़ दिया कि इस  घटना की चर्चा किसी से न करे अन्यथा उसकी बहन के साथ भी वही होगा जो उसने रेणुका के  साथ किया ।
रेनुका की फ्राक फर्श पर फेकी हुई थी ।
चाचा ने  चुन्ना को बाहर करने के बाद घर का दरवाजा बंद कर लिया ।

जब लड़को ने पूछा की उसने सैलून में बाल क्यों नही बनवा लिया तो उसका जवाब था कि सैलून वाला पूछता तो क्या जवाब देता ? कैसे बाल कटे ? फिर बेतरतिब कटे बालो के कारण बाहर निकलने में भी शर्म आ रही थी ।

मित्रो ने नाई बुलाकर उसका बाल बनवाया ।
रेणुका की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया था और न ही उसके बाहर निकलने , स्कुल जाने या मोहल्ले और बाजार जाने पर कोई रोक लगी हो ऐसा कुछ दिखा ।  स्पष्ट था कि चाचा ने चुन्ना के अधूरे काम को अंजाम दिया था ।
क्रमश........
अगले  भाग में :: नए रिश्ते , शादी और विवाहेतर सेक्स ।

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

भडास मीडिया के संपादक यशवंत गिरफ़्तार: टीवी चैनलों के साथ धर्मयुद्ध की शुरुआत