सतालोलुप समाजवादियों का असली चेहरा
सतालोलुप समाजवादियों का असली चेहरा राजनीति लगे रहने की चीज है । इसमे सफ़लता के लिये कुछ अनिवार्य गुण आवश्यक है । जबान से खुब सिद्धांत बखारिये लेकिन वक्त आये तो तलुये चाटकर भी जो मिले ले लिजिये । सिद्धांत को तो कांख में हर पल दबाये रखें । लालू , नीतीश , मुलायम, शरद की तरह । दुसरा गुण बेशर्म होना है यानी न सिद्धांत बखारिये बल्कि जरुरत पर उसके लिये लडने को भी तैयार हो जाइये । जैसे लालू , मुलायम और शरद यादव ने किया था संसद में लोकपाल के लिये हो रही बहस के दरम्यान । ओमपुरी ने अन्ना के मंच से कह दिया सारे नेता चोर हैं , लग गया हमारे मुन्ना भाई लोगों को बुरा । किरन बेदी ने नकल उतारी शरद यादव की , लगे समाजवाद समझाने ।भगोडे शरद यादव , कहां गया आज तुम्हारा समाजवाद । गरीब घर की औलाद , संघर्ष कर के राजनीति मे जगह बनाई , पिछडो के लिये लडने वाले सिपाही हैं जैसे डायलाग मारे थे न शरद यादव जी । आज क्या हुआ ? चोर की तरह चेहरा क्यों छुपा लिया ? क्यों नही गये प्रणव मुख्रजी के नोमिनेशन में । दुसरे सिपाही हैं मुलायम सिंह यादव । देश मे परिवारवाद का विरोध करते थें ,...