बेलगाम अफ़सरशाही: गुंडे अधिकारी


बेलगाम अफ़सरशाही: गुंडे अधिकारी

यह घटना जिसका मैं जिक्र करने जा रहा हूं , वह मेरे साथ कल घटी है । बिहार में नगर निगम के चुनाव संपन्न हुए हैं । चुनाव के बाद अगर हारनेवाले प्रत्याशी को यह लगता है कि उसे अवैध ढंग से हराया गया है तो उसके लिए नगरपालिका अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दाखिल करने का प्रावधान है । चुनाव याचिका जिसे इलेक्सन पेटीशन कहते हैं , वह न्यायालय में दाखिल किया जाता है और चुनाव के नतिजों की घोषणा के तीस दिन के अंदर दाखिल करने का प्रावधान है । पेटीशन दाखिल करने के लिए नतिजा तथा अन्य कागजातों की सच्ची प्रतिलिपि आवश्यक है । चुनाव के नतीजे १९ मई को घोषित हो गयें । मेरे पास भी सात केस आया । मैने बिहार नगरपालिका अधिनियम के रुल संख्या १११ के तहत रिटर्निंग आफ़िसर ए डी एम राम विलास के पास प्रमाणित प्रति के लिये २४ मई को एक , २९ मई को तीन तथा ४ जून को तीन आवेदन दिया । नियमत: आवेदन देने के पांच दिन के अंदर कापी दे देने का भी प्रावधान है । कापी न देने की स्थिति में प्रतिदिन पांच सौ रुपया दंड का भी प्रावधान  है जो रिर्टनिंग आफ़िसर के वेतन से कटेगा । पहले तो उन्होने मुझे एक अन्य उप निर्वाचन अधिकारी के के पाठक के पास भेज दिया । पाठक गुस्सा हो गयें और रामविलास पासवान के बारे में कहना शुरु कर दिया कि उसे कुछ आता जाता नही है हर काम मेरे उपर डाल देता है । खैर पांच दिनों में देने मे अपनी असमर्थता दिखाई तो मैने कहा कोई बात नही आप सात दिन में भी देंगें तो मुझे आपति नही है । दुसरी बार २९ मई को भी रामविलास पासवान ने पाठक के पास भेजा , इस दिन पाठक ने आवेदन लेने से ईंकार किया और मुझे कहा कि आप जाकर रामविलास को बोलें की पाठक जी गुस्सा हो रहे हैं और कह रहे हैं कि यह मेरा काम नही है । पाठक ने बडे प्रेम से मुझसे लगाव दिखाते हुये कहा कि आप जाकर मेरे बारे में शिकायत करें कोई बात नही है । मैने स्पष्ट शब्दों में पाठक से कहा कि माफ़ करेंगें इस तरह का काम मैं नहीं करता ।आप दोनों  की आपसी प्रतिद्वंदिता से मुझे कोई मतलब नही है ।  खैर बहुत अनमने ढंग से तीन आवेदन रामविलास पासवान ने ले लिये । ये तीनों आवेदन मेयरउप मेयर पद की खरीद बिक्री में लगे प्रत्याशी विभा देवी (वर्तमान मेयर ) , उप मेयर मोहन श्रीवास्तव तथा उनकी पत्नी के कागजातों की नकल के लिये थें । मैने स्पष्ट कह दिया था कि मुझे ४ जून तक नकल दे दें क्योंकि बहुत कुछ गलत जानकारी इन सबके कागजातो मे है , ये पार्षदों की खरीद फ़रोख्त कर रहे हैं , मुझे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लडना है ।  तीन और आवेदन मैने ४ जून को दिया रामविलास पासवान ने आवेदन लेने से साफ़ ईंकार किया । जिलाधिकारी उस समय अपने कार्यालय में उपस्थित नही थीं। बहुत प्रार्थना करने पर रामविलास ने अनमने ढंग से आवेदन लिया । मुझे किसी भी कागजात की प्रति नही उपलब्ध कराई गई । बार बार कल आये कहकर परेशान करता रहा यह रामविलास पासवान । कभी कहता कि नगर निगम से जाकर ले ले । कभी कहता कि मुझे नही पता कैसे प्रमाणित कापी निर्गत की जायेगी। इसी बीच मेयरउप मेयर का चुनाव संपंन्न हो गया , मेयर एवं उप मेयर दोनो भ्रष्ट पार्षदों को खरीद कर जीत गयें ।जब ४ जून को नकल नही प्राप्त हुई तो मैं समझ गया कि रामविलास जानबूझकर नही देना चाहता और कहीं न कहीं यह मेयरउप मेयर के साथ मिला हुआ है । खैर बाद मे भी कागजात गलत रहने पर लडा जा सकता है और मेयरउप मेयर को हटना पड  सकता है यह समझते हुये  मैं खामोश रहा ।  मैने १४ जून को रामविलास को फ़ोन किया । उसने कहा कि आज जनता दरबार है फ़ुर्सत नही है तथा मै कल लोकायुक्त के यहां जा रहा हूं , आप शनिवार को आयें नकल हर हाल मे मिल जायेगी । शनिवार १६ जून था । अठारह जून तक चुनाव याचिका दाखिल करना अनिवार्य था । मैंने पहले १६ जून को फ़ोन किया , इसबार फ़िर उसने कहा कि नगर आयुक्त से नकल मिलेगी । मैने उसे समझाया कि नियमत: नकल आपको देना है । मैने नगर आयुक्त को भी फ़ोन लगाया , नगर आयुक्त ने कहा कि कुछ कागजात चुनाव के आये हैं लेकिन कहां रखा हुआ है मुझे नही पता तथा नकल देना चुनाव अधिकारी का काम है मेरा नही । मैने रामविलास को इसकी सूचना दे दी । रामविलास ने मुझे कार्यालय बुलाया । मैं उसके कार्यालय में गया । रामविलास ने कहा कि अभी मैं व्यस्त हूं मिटींग है । मैने कहा चलिये वहीं बात कर लेते हैं , दो मिनट का समय लगेगा । मैने सोचा जिलाधिकारी मिटींग मे होंगी उनके सामने भी यह बात रख दुंगा । बार बार मुझे ईतना जलील इस रामविलास पासवान ने किया था कि मैने इसबार पेन कैमेरा साथ में रख लिया था ताकि जो भी बातचीत हो उसकी रेकार्डींग हो। रामविलास ने मुझे मिटींग में चलने के लिये कहा ।

 मैं मिटींग हाल में गया वहां ब्लाक के अधिकारी बैठे हुये थें (इन अधिकारियों के भ्रष्टाचार से आम जनता सबसे ज्यादा त्रस्त है , इसमे बी डी ओ , सी ओ तथा डी सी एल आर शामिल हैं ) । मैने अपना बैग टेबुल पर रखकर बातचीत शुरु की तथा अपना कैमरा निकालकर दिखा दिया कि आज जो भी बात होगी वह रेकार्ड होगी । मैं चाहता तो उसे छुपाकर भी रेकार्ड कर सकता था , परन्तु आजकल पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूं । मेरे कैमरे को देखकर एक ब्लाक का बीडीओ या सीओ ने रामविलास को कहा , सर रेकार्डींग कर रहा है । रामविलास गरमा गया , इसी बीच एक और अधिकारी जो नौजवान जैसा है टी शर्ट पहनता है तथा अक्सर जिला कार्यालय में नजर आता है , उसने मुझे बदतमीज की तरह बाहर जाने को कहा । मैने अपनी बात जारी रखी क्योंकि मैं उससे बात नही कर रहा था । दो चार और अधिकारियों ने रामविलास को उकसाया और रामविलास उठकर मुझे धक्का देते हुये बाहर  ढकेलने लगा । स्वभाविक था कि अन्य कर्मचारी भी लग गये बहादुरी दिखाने में । पुलिस बुलाओ , पुलिस बुलाओ कहकर डराने का प्रयास किया । बाहर किये जाने के बाद मेरा गुस्सा सातवें आसमान था मैं स्वंय को बहुत अपमानित महसूस कर रहा था । उस समय मेरी मनोदशा यह थी कि अगर मैं शादीशुदा नही रहता और हाथ में हथियार होता तो गोली मार देता चाहे जो अंजाम भुगतना पडता । खैर मैने बिहार के मुख्य सचिव को फ़ोन लगाया , फ़ोन उठानेवाले को मैने मुख्य सचिव से बात करवाने को कहा । मैने साफ़ शब्दो मे कहा आखिर जनता कैसे जियेगी जब अधिकारी हीं गुंडागर्दी कर रहा हो । और भी बहुत कुछ बोला जो यहा दिये गये विडीयो से पता चलेगा । मेरा बैग अंदर हीं था । वह छोकडा जैसा अधिकारी जो शायद अपने आप को सबसे काबिल समझता है उसने कहा बैग ले जाओ । मैने जवाब दिया मुझे बाहर  ढकेला गया है मैं अब  हाल में नही आउंगा । उस बदतमीज ने फ़िर कहा कि जाओ तब बैग नही मिलेगा । परन्तु फ़िर उसे लगा कि रेकार्डींग हो रही है उसने बैग बाहर फ़ेकवा दिया ।
मैं बाहर आ गया और सोचा कि अब घर जाकर विचार करुंगा क्या करना है (मेरी तबीयत भी चार दिनों से खराब चल रही थी , मैं लिक्विड डायट पर  था अन्न नही ले रहा था इसलिये कुछ  कमजोरी भी महसूस कर रहा था ) । अभी मैं जिलाधिकारी के कार्यालय से बाहर कंपाउंड में खडा हीं था कि एक पुलिस गाडी आई जिसमे कोई पुलिस पदाधिकारी था। मैं रुक गया । मैं समझ गया यह मेरे लिये हीं बुलाया गया है । अगर मैं चला जाता तो गलत होता यह लगता कि मैं डरकर भाग गया । उक्त पुलिस अधिकारी का नाम था निखिल कुमार , पहले वह अधिकारी मिटींग हाल में गया फ़िर उनलोगों से कुछ बातकर के मेरे पास आया और मुझसे बहुत हीं सभ्य तरिके से कहा चलिये थाने हमलोग चाय पीते हैं । ( उस अधिकारी के बात करने का लहजा बहुत हीं शरीफ़ाना था , काश सारे पुलिस अधिकारी जनता से इसी लह्जे में बात करतें । ) मैने स्पष्ट शब्दो मे कहा जबतक एफ़ आइ आर नही होगा आप मुझे नही ले जा सकते हैं । निखिल कुमार ने फ़िर एकबार जाकर रामविलास से बात की , शायद उसकी हिम्मत नही हुई एफ़ आइ आर करने की । जो लोग गलत करते हैं उनके अंदर नैतिक बल नही होता है । निखिल कुमार फ़िर , मेरे पास आयें , मुझे समझाने बुझाने लगें , यह जानने के बाद की मेरी तबीयत भी खराब है उन्होने रिक्वेस्ट किया की आप घर जायें । मैने उनसे भी स्पष्ट शब्दो में कहा कि ज्यादा से ज्यादा ३५३ और ४४८ का मुकदमा मेरे उपर हो सकता है (  इन बेलगाम बदतमीज अधिकारियों के पास यही हथियार है जिसका बेजा इस्तेमाल जनता को  डराने के लिए ये करते हैं ) लेकिन जिस तरह से इसने मुझे अपमानित किया है अगर जब यह ड्यूटी पर न हो और मैं  इसे पाच दस थप्पड सरेआम जड  दूं तो मेरे उपर क्या केस होगा आप समझ सकते हैं । मुझे अपमानित करते समय यह इस बात को भूल गया कि अपमान से हीं बदले की भावना पैदा होती है । और बदले की भावना मे  कोई व्यक्ति किसी भी हद तक जा सकता है । रामविलास पासवान को सरकार सुरक्षा गार्ड उपलब्ध करा सकती है , उसके बाल बच्चों को नही , अपने अपमान का बदला लेने के लिये मैं उसके बच्चे का हाथ पैर भी तोड सकता हूं (हालांकि मैं रामविलास जैसा जाहिल बदतमीज और मुर्ख नहीं  हूं , मेरे साथ जो भी किया है रामविलास ने किया है लेकिन हो सकता है कल कोई ऐसे व्यक्ति के साथ भी रामविलास वही हरकत करे जो इसने मेरे साथ किया और वह व्यक्ति हर हाल में बदला लेने का निश्चय कर ले तब क्या होगा । ) खैर घर आने के बाद मैने मुख्य सचिव एवं  चुनाव आयोग को इमेल किया । कल तो बहुत गुस्से में था । पत्नी ने पुछा क्या बात है,  मैं छुपाता नही हूं , मैने उसे बता दिया आज मुझे रामविलास नाम के एक अधिकारि ने बहुत अपमानित किया है । वह भी गुस्से में आ गई , मेरा परिवार भी जानता है कि मैं सिद्धांतो  के साथ जिनेवाला और आजकल के हिसाब से अत्यंत अव्यवहारिक आदमी हूं लेकिन मेरे परिवार ने मुझे समझ लिया है अब । पत्नी ने गुस्से में कहा आप बताये कहां बैठता है वह कमीना मैं उसको मारुंगी । मैने उसे शांत कराया । आज कुछ गुस्सा कम हुआ है लेकिन अपमानित अभी भी महसूस कर रहा हूं । मेरा पहला प्रयास होगा उच्चाधिकारी कार्रवाई करें । रह गई अपमान का बदला लेने की बात तो सोचता हूं जब रामविलास ड्यूटी पर न हो तो सरेआम पांच छह थप्पड जड दूं उसे फ़िर लगता है लोग जब मुझे ऐसा करते देखेंगें तो मुझे हीं अपमान महसूस होगा । दुसरी बात यह कि जो गलती और बदतमिजी उसने की वही अगर मैं करता हूं तो उसके मेरे बीच अंतर क्या रह जायेगा । एक बात और मन मे आती है अगर अपमान का बदला नही लेता तो जिंदगी भर मुझे यह सालता रहेगा और रामविलास जैसे अधिकारियों की हिम्मत भी  बढेगी । एकबार  सरेआम चार पाच थप्पड खाने के बाद शायद उसे अहसास हो कि अपमान किसे कहते हैं । खैर फ़िलहाल अभी इस द्वंद से गुजर रहा हूं । निर्णय  लेने में समय लगेगा । आप वीडियो देखें और अपनी भी राय दे की क्या उचित होगा । वर्तमान हालात मे सिर्फ़ एक अधिकारी नही बल्कि अधिकांश अधिकारियों की आदत यही  होती जा रही है ।






मुख्य सचिव बिहार तथा चुनाव आयोग को भेजे गये ईमेल की प्रति





टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

  1. madan tiwary jee if i were you i would have shoot on the spot like this kind officer .someone is being humiliated and my government is sleeping ,,,,, where is nitish government,,,, don't nitish government think think that dis kind of officer must be punished ,,,,, if government are compel to do it then resign from government ,,,,,,,,,

    ReplyDelete
  2. Dear Friend
    Always remember “quantum of punishment should be equal to quantum of offence.” He humiliated me and i think slapping him openly is fittest punishment but I will wait for action of Higher authorities, if they fail to deliver justice, believe me I will slap him.

    ReplyDelete
  3. you shemeless moron man you don't have any humanity in you,,,at least whatever u prescribing in ur roasted news,prescribe at least true things,don't cheat the public,,,,u corrupt man check the character role of that officer where ever he works,i think get ur result by that,,,he is bad only for those bad corrupted man who try to disturb the system of working of govt..,,,.don't fool others u fool,,

    ReplyDelete

Post a Comment

टिपण्णी के लिये धन्यवाद

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

भडास मीडिया के संपादक यशवंत गिरफ़्तार: टीवी चैनलों के साथ धर्मयुद्ध की शुरुआत