सौतन से सांसद तक
सौतन से सांसद तक
एक फ़िल्म आई थी और जबर्दस्त
हिट भी हुई थी । वह फ़िल्म उसके तीन किरदारों की वास्तविक जिंदगी पर आधारित थी। फ़िल्म “सिलसिला “।
“ बेला चमेली के सेज सजाये , सोये गोरी
का यार बलम तरसे रंग बरसे “में वास्तविकता से एक हीं अंतर था
, रियल लाईफ़ में गोरी का यार तो था लेकिन बालम नही। गोरी के यार थें पर्दे के महानायक अमिताभ बच्चन
। उन्हें अपनी फ़िल्मी जिंदगी की शुरुआत में जया भादुरी से शादी का लाभ मिला और फ़िल्मी
दुनिया में काम न मिलने की अनिश्चता समाप्त हो गई । सफ़लता के शिखर तक पहुचने और सदी
का महानायक बनने में गोरी के प्यार ने मदद की । शिखर तक के सफ़र में साथ देनेवाली रेखा
की जरुरत वहां पहुचने के बाद नही रह गई और गोरी दोस्त से दर्शक बन गई । शायद यही कारण
रहा कि एक दो लेखको ने महानायक को खलनायक के रुप में चित्रित किया है ।
राजनेता या नेत्री भी
इंसान होते हैं । रोमांस इंसान की पहचान है । समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा
के लिये निर्वाचित किया । कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में हमेशा एक राजनीतिक रोमंटिक
रिश्ता रहा है । कांग्रेस पार्टी ने इस रोमांस में और मिठास लाने के लिये रेखा को राज्यसभा
के लिये मनोनीत कर दिया । कभी गोरी के यार की बीवी का किरेदार फ़िल्मी पर्दे और वास्तविक
जिंदगी में निभानेवाली जया बच्चन और फ़िल्मी पर्दे तथा वास्तविक जिंदगी में उनकी सौत
रही रेखा आज सांसद बन चुकी हैं। देखना यह है कि दोनो एक साथ राज्यसभा में नजर आती हैं
या सिलसिला के होली वाले गीत की तरह उनकी अलग – अलग उपस्थिति
होगी। सिलसिला के रंग बरसे वाले गाने के फ़िल्मांकन में रेखा और जया बच्चन कभी एक साथ
सेट पर नही रहीं और दोनो का सीन अलग अलग लिया गया । हालांकि फ़िल्म के संपादन के कारण
यह पता नही लग पाता है ।
संसद की कार्यवाही बहुत
नीरस होती है । कटाक्ष और व्यंग का भी लुत्फ़ नहीं लेते हैं सांसद । अब कम से कम राज्यसभा
में इन दोनो सौतनों के आ जाने के कारण कुछ तो महौल में बदलाव आयेगा हीं । सांसदो को
भी अपनी प्रेमिका और प्रेमी के साथ बिताये गयें लम्हें याद आयेंगें । काश लालू यादव
भी राज्यसभा में होतें तो आनंद दुगुना हो जाता । ठेठ भाषा में इशारे इशारे से बहुत
कुछ खोल देने में माहिर लालू यादव इनदोनो को कम से कम यह तो जरुर याद दिला देते किं
“ मैडम आप दोनो का जो “खाये गोरी के यार
“वाला गाना है न , हम भी उसी गाना पर होली
खेलते हैं । लालू जी के कथन से राज्यसभा का महौल ठहाकों से गुलजार हो जाता ।
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