आइये जरदारी साहब लंच खायें : अपने –अपने सैनिकों की मौत की दावत उडायें ।
आइये जरदारी साहब लंच खायें : अपने –अपने सैनिकों की मौत की दावत उडायें ।
आज पाकिस्तान के सबसे अयोग्य राष्ट्रपति ने भारत के सबसे अयोग्य प्रधानमंत्री
के साथ लंच लिया । दोनो के बीच अपनी गद्दी बचाये रखने के लिये चाशनी में
लिपटी हुई बातें हुई । मनमोहन सिंह ने कहा कि अब वे पाकिस्तान जायेंगें । अखबारों ने
प्रशंसा के पुल बांध कर रख दियें। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी बढ चढकर मनमोहन सिंह
द्वारा दिये गये भोज में हिस्सा लिया । मेरे दिमाग में बार-बार
एक बात कौंध रही हैं। कभी इंदिरा गांधी और भुट्टो मिलते हैं । कभी अटल बिहारी और परवेज
मुशरफ़ । आज मनमोहन और जरदारी मिलें। मिलना
और दोस्ती करना अच्छी बात है लेकिन जब मिलना हीं है तो फ़िर सैनिकों की जान क्यों लेते
हो ? लडते क्यों हों ? आज के भोज के बारे
में सोचते हुते मेरे मन में यह ख्याल आ रहा था कि क्या यह जश्न है, सैनिकों की मौत का ? पाकिस्तान और भारत के बीच कोई विवाद
नही है । कश्मीर के बारे में सबको पता है , जो हिस्सा पाकिस्तान
के कब्जे में है वह उसका और जो भारत के कब्जे में है वह भारत का । रह गई हुरियत फ़ुरियत
तो इनका वजूद तभी तक है जबतक धर्म के आधार पर राजनीति है । आतंकवाद दोनो देशों के लिये
घातक है । जरदारी और मनमोहन दोनो को उनके देश की जनता ने नकार दिया है । जरदारी तो
अपने आप में भ्रष्टाचार का पिटारा हैं । रह गई मनमोहन सिंह की बात तो शायद किसी भी
प्रधानमंत्री के समय में उतने घोटाले नही हुये होंगे जितने इनके समय में हुयें । इन
दोनो के मिलने का समय भी मायने रखता है । साम्यवादियों ने एकजूटता दिखाई तथा अपनी नीति
में भी बदलाव का संकेत दिया , उसी दरम्यान अचानक जरदारी को अजमेर
शरीफ़ जाने का सपना आ गया । इतना तो सबको पता है कि दोनो अमेरिका की कठपुतली हैं। दोनों
कठपुतलियों ने अचानक एक साथ डांस नही शुरु कर दिया । डोर जिसके हाथ मे है उसने दोनो
को एकसाथ नाचने के लिये बाध्य किया है , अन्यथा जब पाकिस्तान
के सौ से ज्यादा सैनिक हिमस्खलन की भेट चढ गये हों , वहां के
राष्ट्रपति को दरगाह पर चादर चढाने का ख्याल आये , यह जचता नही
। दोनो की कुर्सी संकट में है । दोनो अमेरिका के प्यारे हैं । खैर इन प्यादों से हमे
मतलब नही , हमें पता है , पूंजीवाद अमेरिका
में हीं दम तोड रहा है । हम तो बस इतना जानना चाहते हैं कि यह कबतक चलेगा । कबतक सैनिकों
की जान देशभक्ति के नाम पर ली जायेगी और उनकी लाश पर ये राजनेता मौज मनायेंगें
?
यह तब तक चलेगा जब तक देश मे ढोंग-पाखंड पर आधारित धर्म पुजेगा।
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