जेल खोलो पैसे कमाओ
दुनिया
में पूंजीवाद का सबसे बडा उदाहरण हमेशा से अमेरिका रहा है । हमारे देश में एक कहावत
है लहर गिनकर पैसा कमाना यानी जो भी काम सौंपा जायेगा उसमें भ्रष्ट तरीके से पैसा कमाने
का रास्ता हम तलाश लेते हैं लेकिन अमेरिका में रास्ता तलाशने की आवश्यकता नही है ।
सरकार की नीतियां हीं मौका प्रदान करती हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि अमेरिका
में प्रायवेट जेले भी हैं जहां कैदियों को रखा जाता है और सरकार उन जेलों को कैदियों
को रखने के एवज में पैसा देती है । बिहार मीडिया ने अपने एक लेख में इसे प्रकाशित किया
था । अभी अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है । इस चुनाव में गैरकानूनी तरीके
से अमेरिका में रहने वाले अप्रवासियों का मुद्दा गरमाया हुआ है । नाजायज रुप से अमेरिका
में रहने वालों को गिरफ़्तार करना और वापस उनके देश भेजने के लिये कानून है । ओबामा
के शासनकाल सबसे ज्यादा लोगों को नाजायज रुप से रहने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया
। प्रत्येक दिन 33 हजार गैर अमेरिकन को गिरफ़्तार करके जेल में रखा जाता है । अमेरिका की सरकार
को इस तरह के बंदियों को रखने में एक दिन में 55 लाख डालर व्यय
करना पडता है । यह रकम प्रायवेट जेलों का संचालन करनेवाली कंपनियों को अदा की जाती
है । इन कंपनियों पर यह आरोप लगा है कि प्रत्यार्पण कानून को अपने फ़ायदे लायक बनाने में इनका हाथ है । जेलों
का संचालन करनेवाली कंपनियां पचासो लाख डालर चुनाव लड रहे नेताओं को दान देने में खर्च
करती हैं ताकि उनका जेल व्यवसाय अच्छी तरह चलता रहे। ढेर सारे ्सही लोगों को भी गिरफ़्तार
कर के इन जेलों में रखा जाता है। इसके अलावा जानबूझकर के अविलंब गिरफ़्तार बंदियों का
प्रत्यार्पण करने की बजाय ज्यादा दिनो तक किसी न किसी कारण से जेलों में बंद रखा जाता
है । और यह अमानवीय हरकत मात्र पैसे के लिये की जाती है । अभी कुछ दिन पहले भारत ने
अमेरिका के द्वारा श्रीलंका में मानवाधिकार के हनन पर लाये गये एक प्रस्ताव के पक्ष
में अपनी तटस्थ रहनेवाली विदेश नीति के विपरित जाकर मतदान किया । क्या मनमोहन सिंह
जी ने एकबार भी ओबामा से कहा कि वह अमेरिका में नाजायज रुप से रह रहे विदेशी नागरिकों
के साथ हो रही अमानवीय हरकत को रोकें ?
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