हम बिहारियों के लिए मिडिया द्वारा नितीश का चित्रण अचंभित करता है । मधुर मुस्कानधारी नितीश की छवि एक दृढ़ संकल्पधारी,स्वच्छ चरित्र वाले राज्य के विकास के लिए समर्पित ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में मीडिया प्रस्तुत करता है । मीडिया की यह हरकत इस कहावत को चरितार्थ करती है कि "" एक झूठ सौ बार बोलो वह सच दिखेगा " । 1971 से बिहार की राजनीति को बहुत नजदीक से देखता रहा हूँ । अनेको सरकारे आई और गई । उन सभी सरकारों के कार्यकाल पर नजर डालने के बाद कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति दावे के साथ नितीश की सरकार को अभीतक की भ्रष्टत्म सरकार कह सकता है । नितीश कुमार के शासनकाल में घुस की राशि कई गुणा बढ़ गई । जहां पहले सौ रुपया में काम हो जाता था वहां तिन-चार सौ से कम में कोई बात भी नहीं करता है । बिना घुस दिए किसी काम की कल्पना नहीं की जा सकती है । यहांतक की अर्जेंट चरित्र प्रमाणपत्र , जाति और निवास प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए भी घुस देना पड़ता है अन्यथा 14 दिन के पहले इन प्रमाणपत्रों को निर्गत नहीं किया जाता है चाहे आवेदक कितनी भी अनिवार्यता में क्यों न हो । शिक्षक बहाली से लेकर बिहार राज्य लोक...