भूला हुआ अतीत एक सच्ची कथा
भूला हुआ अतीत : एक सच्ची कथा उसका विवाह पहले ही एक इंजीनियर से निश्चित कर दिया गया था। वह अपने माता-पिता की सबसे छोटी और सबसे दुलारी संतान थी—एक ऐसे प्रतिष्ठित ज़मींदार परिवार में जन्मी, जिसकी शक्ति और प्रभाव गाँव की सीमाओं से बहुत आगे तक फैली हुई थी। सैकड़ों बीघा उपजाऊ भूमि, नौकर-चाकरों की कतारें और सामाजिक प्रभुत्व—सब कुछ उनके नाम से जुड़ा था। उसके दो भाई और चार बहनें थीं, जिनका स्वभाव कठोर और दबंग माना जाता था। गाँव में कोई भी व्यक्ति उसे छेड़ने, तिरस्कार करने या कुत्सित दृष्टि डालने का साहस नहीं करता था। पिता और भाइयों की उपस्थिति ही किसी भी दुस्साहस को रोक देने के लिए पर्याप्त थी। उसका ननिहाल भी कम प्रभावशाली नहीं था। उसकी माँ अपने माता-पिता की एकमात्र संतान थीं। यद्यपि उनका रंग साँवला था और वे पारंपरिक सौंदर्य की कसौटी पर नहीं आँकी जाती थीं, फिर भी परिवार में उनका वर्चस्व निर्विवाद था। चाचा स्वास्थ्य विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थे। परिवार गाँव में एक विशाल पैतृक भवन में रहता था और शहर में उनके दो मकान थे—एक पूर्ण, दूसरा निर्माणाधीन। परिवार की एकता और सामाजिक प्रतिष्ठा...