मोहन श्रीवास्तव के मुकदमो की हो सकती है दुबारा सुनवाई ,सजा होने के हैं पूरे आसार
मोहन श्रीवस्तव को हो सकती है जेल।
गया नगर निगम के उप मेयर है मोहन।

गया नगर निगम के दुसरी बार गठन के समय पार्षदो को खरीद कर मोहन उप मेयर बना । ललिता देवी मेयर थी। मोहन ने हमेशा ललिता देवी को तंग किया , कभी भी शांति से निगम को नही चलने दिया। ललिता देवी की असामयिक मौत हो गई । गया के मेयर का पद महिला के लिये सुरक्षित था परन्तु निगम के कानून मे प्रावधान है कि मेयर के नहि रहने या अनुपस्थिति मे उप मेयर उनका काम देखेंगे । मोहन चाहता था कि ललिता देवी छुट्टी लेकर इसको काम करने दे ताकि यह नगर निगम की जमीन को बेच खाये। ललिता देवी की मौत के बाद शगुफ़्ता परवीन मेयर बनी , उनके साथ भी यही रवैया रहा इसका । इसने निगम के प्रावधान के विपरित जाकर अपने लिये अलग कुर्सी लगवाइ थी निगम कार्यालय में। शगुफ़्ता परवीन को हटाने के लिये ४५ पार्षदो के हस्ताक्षयुक्त आवेदन के साथ इसने आयुक्त मगध के यहां मुकदमा दायर किया। यह मेरा सौभाग्य रहा कि निगम का नया कानून बनने के बाद से सबसे ज्यादा मुकदमा मैने लडा है पूरे बिहार मे। गया, जहानाबाद , औरंगाबाद , और यहां तक की पटना के मेयर भी सलाह लेते थे। मुकदमे मे कुछ नहि हुआ । मैं मेयर का वकील था। २०१२ मे विभा देवी गया की मेयर बनी , उनके साथ भी ड्रामा मोहन ने शुरु कर दिया लेकिन यह पढी –लिखी महिला है , इसने सबसे पहले मोहन की कुर्सी हटवाई, उसके बाद इसके खिलाफ़ ठेकेदारो के भुगतान की संचिका पर अनुमोदन के लिये दो लाख रुपये मांगने का उलेख कार्यवाहि मे दर्ज करते हुये सरकार को भेजा है। मोहन इससे तिलमिला गया । अवधेश सिंह इसकी मदद को आगे आयें , उन्होने अपने बेटे से एक गलत मुकदमा मोफ़्फ़सिल थाने मे दर्ज करवाया । मेयर के खिलाफ़ दोनो एक हो गयें। यह एक गंदा उदाहरण था राजनीतिक गिरावट का। उधर मेयर ड्टी हूई है कि लडाई लडेंगें। हार नही मानेंगे । बात अगर ज्यादा बढी तो अतुल प्रकाश केस मे हुई रिहाई का मुद्दा उठ सकता है और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रुप से मोहन के अलावा रिहा करने वाले जज महोदय भी नपेंगे । हालांकि यह होना जरुरी है । न्यायपालिका मे पनप रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिये।
इधर मोहन ने मेयर विभा देवी के उपर दबाव बनाने तथा डराने के लिये नियम के विपरित जाकर पार्षदो की एक बैठक बुलाने का ड्रामा किया परन्तु निगम के अधिवक्ता ने अपनी सहमति नही प्रदान की । पार्षदो के हस्ताक्षरयुक्त एक पत्र मे गलत एवं अपमानजन्क शब्दो के ईस्तेमाल के कारण मेयर विभा देवी ने १८ पार्षदो के उपर कानूनी नोटिस दी है। तथा माफ़ी मांगने को कहा .
इस दरम्यान एक और घटना हुई । पटना के बहुचर्चित रेप तथा देह व्यापार केस में 6 जनवरी 2014 को मोहन श्रीवास्तव को इसके कुछ पार्षदों के साथ पटना कोतवाली पुलिस ने मारवाड़ी आवास होटल से गिरफ्तार कर लिया गया ,इसके होटल के कमरे से दो नाबालिग लड़कियों को भी बरामद किया गया था कंडोम,कामोतेजक दवाइयां और अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं भी जपत की गई थीं । दोनो बरामद लड़कियों ने धारा 164 के तहत बयान भी दर्ज करवाया था बाद में उन दोनों लड़कियों का बयान पैसा देकर न्यायालय में मोहन श्रीवास्तव द्वारा बदलवा दिया गया था जिसके आधार पर इनकी रिहाईं हुई थी परन्तु उस केस में POCSO ( Protection of children against sexual offence ) एक्ट नही लगाने के कारण मानवाधिकार द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद पटना पुलिस ने कांड के अनुसंधान से जुड़े पुलिस वालों पर मुकदमा दर्ज किया है और उसमे मोहन श्रीवास्तव की संलिप्तता की भी जॉच हो रही है ।

मोहन श्रीवास्तव की पत्नी मनीषा श्रीवास्तव गया में कोतवाली थाने से मात्र 50 मीटर पर स्वर्गलोक नामक मसाज पार्लर चलाती थी जहा 2013 के दिसंबर में गया पुलिस ने छापा मारकर तीन लड़कियों को बरामद किया था तथा एक मुकदमा भी देह व्यापार अधिनियम के तहत दर्ज किया था , परन्तु कोतवाली पुलिस ने मनीषा श्रीवास्तव को अभियुक्त नही बनाया था एंव तीनो लड़कियों को बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किये और बिना उनका मेडिकल कराये थाने से ही छोड़ दिया था । इस केस में भी मोहन श्रीवास्तव ने गवाहों को न्यायालय में उपस्थित नही होने दिया और केस के रिकार्ड में हेराफेरी करवा कर गवाहों को सम्मन निर्गत दिखला दिया था ,गवाहों के न्यायालय में उपस्थित न होने के आधार पर इनकी रिहाईं हुई थी ,रिहाईं के खिलाफ गया के सामाजिक कार्यकर्ता लालजी प्रसाद ने एक रिट याचिका भी दायर की है , याचिका दायर करने के पूर्व लालजी प्रसाद ने गया के एसएसपी, डीआईजी,कलक्टर एंव कमिश्नर को पत्र लिखकर यह जॉच करने की मांग की थी कि किस परिस्थितियों में पुलिस गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत करने में नाकाम रही , अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नही करने के बाद लालजी प्रसाद ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जिसमे सरकार से जवाब मांगा गया है ।
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पटना में लडकियों के साथ गिरफ्तार मोहन श्रीवास्तव |

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पटना में गिरफ्तारी की खबर |


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पटना में लडकियों के साथ गिरफ्तार मोहन श्रीवास्तव |

न्यायालय के साथ धोखाधड़ी करके और पैसे तथा दबाव के बल पर गवाहों के बयान को बदलवाकर लगातार तीन मुकदमो में रिहाईं पाने के बाद मोहन श्रीवास्तव का दुस्साहस बढ़ता गया, इधर उसने राजू वर्णवाल नामक व्यवसायी के एक व्यवसायिक परिसर को हड़पने की साजिश शुरू कर दी , मोहन ने हर्षवर्धन नामक व्यक्ति जिसके साथ डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत व्यवसायिक परिसर का निर्माण हुआ था ,उससे मिलजर अपनी पत्नी मनीषा श्रीवास्तव के साथ एक अग्रीमेंट तेरा किया तथा न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया परन्तु माननीय न्यायालय ने उक्त मुकदमे को खारिज
कर दिया और रोक लगाने से इनकार कर दिया .तथा उससे संबंधित अपील संख्या टायटल अपील
04/16 भी माननीय जिला एंव सत्र न्यायाधीश द्वारा खारिज हो चुकी है . माननीय जिला एंव सत्र न्यायाधीश द्वारा
खारिज की गई अपील के खिलाफ एक सिविल मिसलेनियस वाद 804/17 हर्षवर्धन द्वारा माननीय
उच्च न्यायालय में दायर किया गया है जो लंबित
है, इसके अतिरिक्त हर्षवर्धन ने माननीय उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका
14253 / 15 तथा अवमानना वाद संख्या 537/2017 भी दायर किया था जिनका भी निष्पादन
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा किया जा चुका है. माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भी
निर्माण को ध्वस्त करने की मांग मोहन श्रीवास्तव के मित्र हर्षवर्धन द्वारा की गई
थी परन्तु माननीय उच्च न्यायालय ने
निर्माण को धवस्त करने या उसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया था .मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग के समक्ष भी एक आवेदन नगर निगम
अधिनियम की धारा 18 ( 2 ) के तहत राजू वर्णवाल जी के द्वारा दायर किया है जिसमे
सशक्त स्थायी समिति के द्वारा लिए गए असंवैधानिक निर्णयों के आलोक में मोहन
श्रीवास्तव को पद से हटाने की मांग की गई है.
इसी दरम्यान एक घटना हुई :
गया में अपना निजी केबल चैनल “अबतक बिहार “ चलाने वाले विमलेंदु चैतन्य को नगर निगम के उप मेयर मोहन श्रीवास्तव ने फोन करके भद्दी-भद्दी गालियां दी तथा मारने और घसीट कर थाने ले जाने की धमकी दी है
पूरा वाकया कुछ इस प्रकार है ।
दिनांक 19 मई को रात 11 बजे गया कोतवाली पुलिस ने नगर निगम के वार्ड नम्बर 18 के पार्षद अशोक कुमार उर्फ बुटी को नशे की हालत में हंगामा करते हुए गोलपत्थर चौराहे पर गिरफ्तार किया । बुटी निगम के उप मेयर मोहन श्रीवास्तव का बहुत ही नजदीकी रहा है ,गिरफ्तारी के बाद दूसरे दिन निगम के कुछ पार्षद तथा मेयर और उप मेयर कोतवाली थाना पहुच कर पुलिस पर गिरफ्तार पार्षद बुटी को छोड़ने के लिए दबाव बनाने लगे, मोहन श्रीवास्तव ने इस घटना का फायदा अपनी स्वार्थ के लिए करने के उद्देश्य से यह अभियोग लगाया कि पार्षद को गया जदयू के महानगर अध्यक्ष राजू वर्णवाल, पार्षद राहुल कुमार एंव विक्की शर्मा ने जबरदस्ती अपनी गाड़ी में बैठाकर उसके मुँह में शराब उड़ेल कर उसे कोतवाली में गिरफ्तार करवा दिया । मोहन श्रीवास्तव ने यह भी आरोप लगाया कि बुटी की जेब से 5 हजार रुपया भी उनलोगों ने छीन लिया ।
मोहन श्रीवास्तव और पार्षदों के दबाव में पुलिस ने एक मुकदमा भी धारा 379 एंव 308 के तहत तीनो व्यक्तियों पर दर्ज कर लिया । इस प्रकार इस घटना की आड़ में मोहन श्रीवास्तव ने दो शिकार किये, एक तो उन्होंने झूठा बचाव का रास्ता निकाला ताकि बुटी को जमानत मिल जाये ,दूसरा उन्होंने राजू वर्णवाल जिनके साथ उनका संपति विवाद चल रहा है उन्हें तथा राहुल कुमार जिन्होंने मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ उप मेयर का चुनाव लड़ा था उनको केस में फंसा दिया । बुटी की गिरफ्तारी के बाद विमलेंदु चैतन्य ने अपने निजी चैनल पर नशे की हालत में थाने में पकड़ाये बुटी का बयान लिया ,उसके बाद दूसरे दिन थाने का घेराव कर रहे पार्षदों और मोहन श्रीवास्तव का भी बयान लिया, विमलेंदु चैतन्य ने थाने में उपस्थित नगर पुलिस उपाधीक्षक राजकुमार साहू का भी बयान रिकार्ड किया । राजू वर्णवाल के अधिकवक्ता मदन तिवारी का भी बयान विमलेंदु चैतन्य द्वारा लिया गया था । अधिवक्ता मदन तिवारी ने अपने बयान में मोहन श्रीवास्तव के आपराधिक इतिहास तथा वर्तमान में चल रही जांच का जिक्र किया था । विमलेंदु चैतन्य ने यूट्यूब पर भी यह समाचार अपलोड कर दिया था जिसे देखने के बाद मोहन श्रीवास्तव ने फोन करके उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी और वापस आने के बाद मारने तथा मारते हुए घसीट कर थाने ले जाने की भी धमकी दी ।
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विमलेंदु चैतन्य को धमकी देकर मोहन श्रीवास्तव ने वीडियो हटवा दिया परन्तु उक्त वीडियो को बहुत सारे व्यक्ति डाउनलोड कर चुके थे, उनमे से किसी ने उसे भड़ास पोर्टल को भेज दिया ,भड़ास ने उसे अपने वेब चैनल पर लोड कर दिया है ,उसके बाद पुनः: विमलेंदु चैतन्य को धमकी का सिलसिला शुरू हो गया है ,विमलेंदु चैतन्य ने पुलिस को इसकी सूचना भी दी है ,परन्तु दबाव में गलत मुकदमा करने में ततपरता दिखाने वाली पुलिस सूचना के बावजूद भी मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रही है । बिहार की पुलिस का यह रवैया उसकी अक्षमता को दर्शाता है ।
निचे हम कुछ वीडियो लिंक और मोहन श्रीवास्तव की रंगरेलियो का वीडियो दे रहे है . लिंक पर क्लिक करके देखे मोहन की कारस्तानी
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असमानता सबसे बडी चुनौती है । जातिवाद से मुक्त समाजवाद हीं एकमात्र विकल्प है।
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