वैशाली के लोजपा उम्मीदवार रामा किशोर सिंह है ग्यारह साल से फरार
वैशाली के लोजपा उम्मीदवार रामा
किशोर सिंह है ग्यारह साल से फरार .
अपहरण का है मामला , आठ व्यक्तियों को हुआ है
आजीवन कारावास
शपथपत्र है गलत , तथ्यों को
छुपाया है
भगोड़ा घोषित कर के दाखील है
चार्जशीट संख्या 458/2003
उच्च न्यायालय से खारिज है
482 सीआरपीसी का आवेदन
सबसे पहले अपने उन मित्रो
से क्षमा चाहता हु जिन्होंने मुझसे प्रार्थना की थी इसे नहीं प्रकाशित करने की .
रामाकिशोर सिंह के द्वारा उन मित्रो के ऊपर दबाव बनाया गया था , मुजफ्फरपुर से भी
दबाव दिया जा रहा था , लगातार फोन आ रहे थे , मेरी मजबूरी थी इसे दबा नहीं सकता
था, यह मेरे लिए भी परीक्षा की घडी थी . इस मुकदमे क बारे में देश के सबसे प्रमुख
हिंदी अखबार के उच्च पद पर आसीन व्यक्ति को भी मैंने बताया था. अब आगे पढ़े फरार रामाकिशोर
सिंह की कहानी .
रामा किशोर सिंह, उम्मीदवार
लोजपा, लोकसभा क्षेत्र वैशाली 2003 से एक मुकदमे में फरार है . रामा सिंह बाहुबली
है , महनार के विधायक है . रामा सिंह ने उस मुकदमे का जिक्र अपने नामांकन वाले शपथ
पत्र में किया है परन्तु उसमे उन्हें गलत लिखा है की उस मुकदमे से संबंधित अपील
छतिसगढ़ उच्च न्यायालय में लंबित है . उच्च न्यायालय द्वारा 28.03.2012 में ही अपील
खारिज की जा चुकि है . आइये अब विस्तार से सुने रामा किशोर सिंह की गाथा.
यह घटना दिनांक 29.03.2001 शाम
7:30 बजे की है. जयचंद वैद नामक व्यक्ति
अपने वर्धमान सर्विस स्टेशन नाक के पेट्रोल पंप जो कुम्हारी( दुर्ग ) में स्थित था
वहा से अपनी सफ़ेद रंग की मातिज से लौट रहे थे, जब उनकी गाडी भाठागांव , रायपुर के पास से गुजर रही थी तो एक लाल रंग
की मारुती कार ने उनकी गाडी का रास्ता आगे से रोक दिया , उस मारुती कार से दो-तिन
आदमी उतारे और वैद को गाडी से खीचकर अपनी गाडी में बैठा लिया . उन अपहरण कर्ताओं
में से एक ने जयचंद वैद्य की मातिज कार को भी अपने कब्जे में ले लिया . अपहरणकर्ता
दोनों गाडियों में आगे बढ़ते गए . एक जगह गाडियों में पेट्रोल भराया गया . 24 घंटे
के लगभग की यात्रा पूरी कर के एक अनजान जगह परा पहुंचे , जयचंद वैद्य के आँखों पर
लगातार पट्टी बंधी हुई थी. वह अनजान जगह बिहार का कोडरमा था. जयच्नद वैद्य को एक
घर में बंधक बनाकर रखा गया , दुसरे दिन घर बदल दिया गया . जयचंद वैद्य के भाई विमल
चंद वैद्य एवं पुत्र सिद्धार्थ वैद्य को फैक्स , पत्र के माध्यम से एक करोड़ के लिए
दबाव बनाया गया . जयचंद वैद्य ज़िंदा है तथा अपहरण करने वालो के कब्जे में है इसके
लिए उसी तारीख के अखबार का फोटो जयचंद वैद्य का लेकर के भेजा गया. अंत में मामला
25 लाख रुपये में तय हुआ . रुपया देने के लिए यह निर्देश दिया गया की इलाहाबाद और
कलकता के बीच चलती ट्रेन से रूपये का बैग एक निर्धारित स्थल पर फेकना है. उस जगह
के बारे में चाचा-भाई को मोबाइल पर सूचना देने की बात थी. बड़े ही नाटकीय ढंग से
यहाँ सारा काम हुआ. जयचंद वैद्य को कार से हजारीबाग, शेरघाटी,डेहरी होते हुए मुगलसराय
स्टेशन पर रिहा किया गया तथा उसे बताया गया की यह पटना है, उसे अपहरणकर्ताओ ने
निर्देश दिया था की यहाँ से सीधे कलकाता की ट्रेन पकड़ना परन्तु . उसने अपने परिवार वालो को खबर किया तब उसे
जबलपुर फिर रायपुर लाया गया. इस मुकदमे में अभी तक आठ लोगो को सजा हुई है जिसमे एक
–दो निर्दोष लगते है. मातिज कार रामाकिशोर सिंह के यहाँ से बरामद हुई. पुलिस ने
चार चार्जशीट दाखिल किया था उनमे से एक चार्जशीट दिनांक 17.08.2003 को चार्जशीट
नम्बर 458-D/ 2003 में रामाकिशोर सिंह को फरार दिखलाते हुए दाखिल किया गया है.
रामा किशोर सिंह विधायक महनार ने अपने खिलाफ दाखिल चार्जशीट को खारिज करने के लिए एक
याचिका सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दिनांक 05.01.2008 को बिलासपुर उच्च न्यायालय
में दायर किया था जिसका नम्बर Criminal
miscellaneous petition 09/08 था . उच्च न्यायालय द्वारा चार तारीख दिनांक 08.01.2008, 26.07.2010,12.03.2012 एव दिनांक 28.03.2012
को इस याचिका पर सुनवाई के उपरांत दिनांक 28.03.2012 को यहाँ याचिका
खारिज कर दी गई . रामाकिशोर सिंह ने अपने शपथपत्र में इस याचिका का जिक्र किया है
परन्तु याचिका खारिज हो गई है इस तथ्य को उन्होंने छुपा लिया है. रामाकिशोर सिंह
से उनके मोबाइल नबर 9334316001 पर सुबह में 8.18 में बात करने का प्रयास किया फोन
किसी अन्य व्यक्ति ने उठाया और बात करवाने के लिए कहा. 9.41 बजे रामाकिशोर सिंह का
फोन आया तकरीबन ६.३२ मिनट बात हुई. उनका पक्ष जानने का प्रयास किया उन्होंने कहा
की वकील से पूछकर बताता हु. फिर दुबारा 10.11 बजे दुसरे मोबाइल नम्बर 9931335537
से फोन आया इसबार मेरा डिटेल्स चाहते थे खैर छुपाने की आदत नहीं बता दिया .
उन्होंने मदद की प्रार्थना की. मतलब आप सब समझ गए होंगे. शाम तक पैरवी आने लगा.
रामाकिशोर सिंह ने अपने शपथपत्र में तथ्य को छुपाया है और वे फरार है तथा उनको
फरार घोषित करते हुए दुर्ग के न्यायालय द्वारा परमानेंट वारंट निर्गत है. Additional district judge XI ,दुर्ग के सेशन
ट्रायल संख्या 181 /2002 द्वारा आठ व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दि गई थी
जो उच्च न्यायालय और उचतम न्यायालय द्वारा बरकरार है. कुछ लोग इसमे फरार है
रामाकिशोर सिंह भी फरार है.
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