चीन का अगला राष्ट्रपति पूंजीवादी है : अरबो की दौलत का मालिक


चीन का अगला राष्ट्रपति  पूंजीवादी है : अरबो की दौलत का मालिक

झी जिनपिंग  चीन के अगल राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं वर्तमान में ये उप राष्ट्रपति है अगले वर्ष वर्तमान राष्ट्रपति  हू जिंताओ रिटायर्ड होगें झी के बारे मे चीन के  सरकारी मीडिया ने हमेशा यह प्रचारित किया है कि वे स्वच्छ छवि के हैं तथा स्वंत झी ने भी एकबार अपने देश के अधिकारियों की सभा में उन्हे सलाह देते हुये कहा था कि अपने बच्चों, पत्नी , रिश्तेदार , मित्र और कर्मचारियों को काबु में रखें ताकि वे सता का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए   कर सकें आज झी खुद अपने परिवार को मदद करने और अरबो की संपति गलत तरीके से ईकट्टा करने के आरोप से घिरे हैं। चीन की साम्यवादी पार्टी में झी  के बढते प्रभाव और पद के साथसाथ उनके परिवार ने भी खादानो, जमीन के व्यवसाय, मोबाईल फ़ोन के निर्माण का व्यवसाय के क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाना शुरु कर दिया वर्तमान में उनके परिवार की कुल संपति ३७६ मिलियन डालर  यानी   भारतीय मुद्रा में  20,941,320,000 रुपया तथा चीनी मुद्रा युआन में  2,389,525,120 आंकी गई है यह दौलत झी की पत्नी एवं चीन की जनमुक्ति सेना की पूर्व गायिका ४९ वर्षीय पेन लियुआन तथा उनकी पुत्रियों के नाम है हालांकि झी जिनपिंग के नाम कोई दौलत नही है (लगता है भारतीय नेताओ के नक्से  कदम पर चल रहे हैं ) इस बात का भी कोई साक्ष्य नही उपलब्ध है कि झी ने अपने परिवार को दौलत कमाने मे मदद की या उनके परिवार ने झी के पद का लाभ उठाया परन्तु यह लाभ तो स्वंय मिल जाता है कोई प्रतिद्वंदिता नही होती , अधिकारी बगैर पैरवी  के मात्र यह जानकर की उप राष्ट्रपति की पत्नी हैं , उनका काम पहले कर देते है .
यह  सबकुछ आम जनता कि नजरों से छुपाने के लिये बहुत हीं कठिन तरीका झी के परिवार ने अख्तियार किया। प्रत्यक्ष रुप से किसी भी कंपनी में या उसके शेयर मे निवेश नही किया बल्कि उक्त कंपनी या उसके शेयर में निवेश करने वाली विभिन्न होल्डिंग कंपनी में निवेश किया यहां तक की होल्डिंग कंपनी की होल्डिंग रखने वाली कंपनियों मे झी के परिवार द्वारा निवेश किया गया भारत का एक उदाहरण दे कर समझा देता हूं टाटा की अनेको कंपनियां हैं लेकिन उन सबपर नियंत्रण टाटा संस नामक होल्डिंग कंपनी का है
चीन में कंपनियों के दस्तावेज को देखने पर लगे सरकारी नियंत्रण तथा आन लाईन सेंशरशिप के कारण भी बहुत कुछ जनता के सामने नही पाता है इनकी दौलत में ३० मिलियन डालर यानी १७ करोड रुपये या करोड युआन का हिल स्टेशन पर स्थित एक विशाल हवेली  है जिससे दक्षिण चीनी समुंद्र एवं हांग कांग को निहारा जा सकता है,  शामिल है उक्त हवेली के पडोसियों का कहना है कि वर्षो से हवेली खाली पडी है , उसमे कोई नही रह्ता है झींग के परिवार के अन्य छह: संपतियों का भी पता चला है जो हांगकांग में स्थित हैं
झींग ने विगत तीस सालो के अपने राजनीतिक सफ़र में विभिन्न राज्यों के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुये २००७ में पोलितब्यूरो में शामिल हुयें झी ने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान एक साफ़-सुथरे राजनेता की छवि बनाई
चीन के समर्द्ध राज्य झेजियांग मे ५८२ बिलियन डालर के घोटाले के बाद झीं को वहा पार्टी प्रमुख बनाया गया झीं ने वहां के भ्रष्ट अधिकारियों को चतावनी दी और बहुत हद तक राज्य मे फ़ैले भ्रष्टाचार पर नियंत्रण भी लगाया इसकी सर्वत्र प्रशंसा भी हुई विश्लेषको के अनुसार झीं के परिवार के भ्रष्टाचार में संलिप्त होना का का मुख्य कारण चीन के समाज का व्यवसायीकरण , नए धनकुबेरों द्वारा इसका प्रचार , अधिकारियों के बीच बढता भ्रष्टाचार समाजिक मुल्यों में आई गिरावट  तथा आत्म सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा के बदलते हुए मापदंड चीन की आम जनता मे झी जिनंपिंग के खिलाफ़ जबर्दस्त आक्रोश भी है , इसका असर अभी चीन मे हो रहे राष्ट्रीय सम्मेलन जिसमे राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री का चुनाव होना है, देखने मे आया। चुकि चीन मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नही है इसलिये वहां सरकार नियंत्रित सोशल साइट्स  weibo  ( weibo englishका उपयोग चीन के नागरिक करते है, इस साइट्स पर भी सरकार विरोधी बातो को नही पोस्ट किया जाता है। भारत या पाकिस्तान जैसे मुल्क की तरह अभिव्यक्ति की आजादी की बात सोचना भी पाप है। चीन की आबादी एक अरब तीस करोड है परन्तु वहां के नेता का चुनाव मात्र कुछेक हजार गिने-चुने साम्यवादी पार्टी के वफ़ादार करते है। प्रजातंत्र या लोकतंत्र की बात बेमानी है। झी जिंग्पिंग के पक्ष मे एक हीं बात जाती है कि वे माओ के बहुत नजदीक रहे क्रांतिकारी झी जोंगुंग के बेटे रहे है। जीपिंग के उपर लगे आरोपो के कारण चीन नियंत्रित सोशल साइट्स पर आलोचनाओ को झेलना पद रहा है। पहली बार सम्मेलन स्थल पर बैग, छाता, काला कपडा लेकर जाने की मनाही है। कोई टैक्सी ड्रायवर सम्मेलन स्थल पर नही जाना चाहता क्योंकि अगर उसके टैक्सी पे सवार किसी सवारी ने किसी भी प्रकार का विरोध किया तो उसकी जिम्मेवारी ड्रायवर की होगी। टैक्सी के दरवाजो के अंदर की हैंडिल को हटा दिया गया है ताकि अंदर से टैक्सी का दरवाजा खुले। बदलती हुई व्यवस्था मे झी को अमेरिकी खुली अर्थव्यवस्था का समर्थक माना जाता है, झी ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को समझने के लिये बहुत मेहनत की है लेकिन सबसे बडा खतरा है चीन के नागरिको का दुनिया के अन्य देशो मे जाना , रहना , पढना और नौकरी करना। ये नागरिक अब चीन मे भी अमेरिका और भारत जैसी आजादी की मांग करने लगे हैं। आधुनिक चीन के नेता माओ को अलविदा कह चुके  है। माओ के समय आम जनता के बीच का व्यक्ति नेता बनता था, आज एक कमेटी की पसंद का व्यक्ति नेता बन रहा है। बदलाव खतरनाक संकेत है, चीन बिखराव के कगार पर खडा है।भारत की तरह चीन मे भी खुली अर्थव्यवस्था का दुष्परिणाम दिख रहा है । अमीर-गरीब की खाई बढी है। जहां अरबपतियों की संख्या मे ईजाफ़ा हुआ है, वहीं गरीबी रेखा से नीचे यानी एक डालर    ्प्रतिदिन से कम आयवालो की संख्या भी बढकर १८ करोड हो चुकि है । यानी भारत से बेहतर स्थिति चीन की भी नही है। जैसे भारत मे जीडीपी के बढने का लाभ सिर्फ़ अमीर वर्ग तक सिमटा हुआ है, वही हालात चीन के भी हैं। चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी विभिन्न धडे मे बटी हुई है। जिस तरह भारत मे तथाकथित सुधार का विरोध हो रहा है ठिक उसी तरह के हालत चीन मे भी है। कभी चीन मे भिखंमंगे नजर नही आते थें , आज बुजुर्ग तक सडको पर भीख मांगते मिल जायेंगें। धार्मिक असहिष्णुता भी बढी है। एक तरफ़  मुस्लिम और दुसरी तरफ़ तिब्बति अपने अस्तित्व की लडाई लड रहे हैं। जब से खुली अर्थव्यवस्था को चीन ने अपनाया है , वहां तीन प्रतिशत से ज्यादा की संख्या मे प्रति वर्ष गरीब बढ रहे हैं। आग की चिंगारी कब चीन मे बिखराव ला देगी किसी को नही पता। मीडिया नियंत्रित है, दुनिया को चीन के हालात की जानकारी नही मिल पाती , कुछेक लोग , रिस्क लेकर इसे उपलब्ध करा रहे हैं। 




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